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प्लेटो कौन था, प्लेटो जीवन परिचय-Who was Plato
प्लेटो का जन्म 427 ईसा पूर्व एथेंस में एक कुलीन परिवार में हुआ था उसका वास्तविक नाम एरिस्टोकल था! उसके पिता का ऐरिस्टन तथा माता का नाम परिक्ष्ने था । प्लेटो की एक बहन तथा दो भाई थे । प्लेटो ने अपना अध्ययन संगीत गणित कविता तथा रियोट्रिक में किया उसने अपने जीवनकाल में तीन युद्ध जीते जिससे उसे बहादुरी की उपाधि मिली। उसने जीवनपर्यंत विवाह नहीं किया!
प्लेटो, सुकरात से 20 वर्ष की उम्र में मिला, उसके विचारो से प्रभावित होकर उसे गुरु बना लिया! 399 ईस्वी पूर्व सुकरात को दी गई सजा ने उसका जीवन ही बदल दिया अपने गुरु की मौत से उसको गहरा धक्का लगा! वह कवि बनना चाहता था, पर अब उसने सुकरात को निर्दोष साबित करने के लिए लिखना शुरू कर दिया।
404 ईसा पूर्व एथेंस में कुलीनतंत्रों का शासन स्थापित हुआ! 387 ईसापूर्व में वह पाइथागोरस से मिला जो एक विचारक गणितज्ञ एवं राजनीतिज्ञ थे! 386 में वह वापस लौटा।
यहाँ एक मानचित्र दिया गया है ताकि आपको यह समझने में आसानी रही की प्लेटो जिस समय थे! उस समय यूनान के दो प्रमुख शहरो की बात पढ़ने को मिलती है जिनके नाम एथेंस और स्पार्टा था ! इसे आप भारत के दिल्ली और मुंबई जैसे शहर मान सकते है! विकसित और एक मॉडल को फॉलो करने वाले जहाँ पर अधिकार का मतलब एक विशेष जगह पर अधिकार होना था जो महत्वपूर्ण है ! जब एथेंस में कुलीन तंत्र आ गया तो प्लेटो ने वो जगह छोड़ दी और वह लोकतंत्र की स्थापना कर सके इस लिए उसने एक अकादमी की नीव रखी ताकि आने वाले युवाओ को वह दार्शनिक राजा के रूप में आकर दे सके !
प्लेटो ने किस अकादमी की और क्यों स्थापना की?-Which academy did Plato establish and why?
प्लेटो का मानना था कि ज्ञान विशुद्ध रूप से आंतरिक प्रतिबिंब का परिणाम नहीं था, बल्कि अवलोकन के माध्यम से मांगा जा सकता था और इसलिए, दूसरों को सिखाया जाता था। इसी विश्वास के आधार पर प्लेटो ने अपनी प्रसिद्ध अकादमी की स्थापना की।
प्लेटोनिक अकादमी, या “अकादमी”, शहर की दीवारों के बाहर, एथेंस के उत्तर-पश्चिमी बाहरी इलाके में स्थित 387 ईसा पूर्व में प्लेटो द्वारा स्थापित प्राचीन एथेंस में एक प्रसिद्ध स्कूल था। साइट ने अपना नाम महान नायक एकेडेमोस से प्राप्त किया।
प्लेटो ने अपने जीवन का अधिकतम समय अकादमी को दिया तथा उसने 367 ईसा पूर्व में सिसली की यात्रा की तथा उसने डायनोसिस को एक दार्शनिक राजा बनाने का प्रयास किया जिसमें वह असफल रहा। प्लेटो की मृत्यु उसके एक शिष्य की शादी के अवसर पर 347 ईसा पूर्व हुई ।
“Oligarchy या कुलीन तंत्र का अर्थ होता है जहाँ सत्ता कुछ लोगो जो राजा या रहीस व्यापारी, या चर्च के पादरी आदि हो मतलब आम लोगो का सत्ता पर न तो अधिकार होता है न भागीदारी! कुछ गिने चुने लोग सत्ता को चलाते है और उससे जुड़े फैसले लेते है !”
प्लेटो लोकतंत्र के समर्थक थे वे चाहते थे की शासन लोगो की भलाई के काम करे जो बिना लोगो के साथ के संभव नहीं हो सकता ! इसके लिए राजा को पढ़ा लिखा संवेदनशील होना चाहिए ! नहीं तो वह पढ़े लिखे लोगो को जहर देकर मार देंगे ताकि लोगो में बुद्धि का विकास न हो सके वे अनपढ़ और उनके इशारो पर चलने वाले बने रहे !
प्लेटो द्वारा पश्चिमी दर्शन में योगदान-प्लेटो का मुख्य विचार क्या था?
प्लेटो का मानना है कि समाज के विभिन्न हिस्सों के परस्पर विरोधी हितों में सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है। सबसे अच्छी, तर्कसंगत और धर्मी, राजनीतिक व्यवस्था, जो वह प्रस्तावित करता है, समाज की सामंजस्यपूर्ण एकता की ओर ले जाती है और इसके प्रत्येक हिस्से को फलने-फूलने देती है, लेकिन दूसरों की कीमत पर नहीं।
“प्लेटो की लेखन शैली संवादात्मक मतलब डायलॉग की फोम में है ! जैसे कोई प्रश्न करे और दूसरा व्यक्ति उसका उत्तर दे ! आप अगर यह पोस्ट पढ़ रहे है, तो यह एक विवरण की तरह लिखा गया है ! प्लेटो ने कैसे जीवन जिया और क्या क्या लिखा उसका फायदा या नुक्सान क्या और कैसे है ! “
प्लेटो ने अपनी सोच में द्वंद्वात्मक, विश्लेषणात्मक, परक्राम्य, निगमनात्मक, अनुरूप और ऐतिहासिक आदि सभी विधियों का उपयोग किया है।
“द्वन्द का मतलब होता है मानसिक संघर्ष; कीनिह दो लोगो के बीच विचारो का संघर्ष द्वंदात्मक शैली कहलाती है !”
Plato has used all the methods in his thinking like dialectical, analytical, negotiable, deductive, analogous and historical etc.
आप अगर अभी भी नहीं समझे तो एक उदहारण लेते है जैसे एक विचार आया, मान लीजिये आपने(A) कहा राजा को दयालु और गंभीर होना चाहिए, तभी वो एक अच्छा राजा बन सकता है! आपके साथी(बी ) ने कहा की अगर वो गभीर होगा तो हास्य विनोद यानि मनोरंजन को रोक देगा या बैन कर देगा ! परन्तु एक अच्छा जीवन जीने के लिए मनोरंजन भी तो जरुरी है मतलब राजा के गुणों में दया, गभीरता और विनोदी स्वभाव भी होना चाहिए ! यह रिजल्ट या परिणाम निकला इस द्वन्द या विचारो के संघर्ष का !
यह प्रथा हम आज कल लोकतान्त्रिक व्यवस्था में देखते है एक विधेयक आया पटल पर, बहस हुई अच्छी बात या सुझाव मान लिया गया और अब जो आपके पास है उससे ज्यादा लोगो को फायदा पहुंचाने का काम होगा !
इसलिए प्लेटो का सबसे बड़ा योगदान उनकी कृति रिपब्लिक को मन जाता है क्योकि इसमें उन्होंने राज्य में सद्भाव और व्यक्ति में सद्भाव के बीच एक व्यावहारिक सादृश्य विकसित किया, और इसे अक्सर अब तक लिखे गए सबसे महान कार्यों में से एक माना जाता है। प्लेटो ने ऐसे संवाद लिखे जो स्वयं सद्गुण की प्रकृति के साथ-साथ विशेष गुणों की प्रकृति को भी मानते थे।
प्लेटो के सिद्धांत: न्याय, शिक्षा और साम्यवाद का सिद्धांत
प्लेटो ने अपने चिंतन में द्वंदात्मक, विश्लेषणात्मक, सौदेश्यात्मक निगमनात्मक, सादृश्यात्मक तथा ऐतिहासिक आदि सभी पद्धतियों का प्रयोग किया है।
प्लेटो द्वारा लिखी पुस्तके और उनका संक्षिप्त विवरण
1. द रिपब्लिक (THE REPUBLIC) – प्लेटो के प्रसिद्ध ग्रंथ रिपब्लिक का शीर्षक न्याय से संबंधित है। यह आज के गणतंत्र से नहीं जुड़ा है। इसे समाजशास्त्र, अर्थ शास्त्र शिक्षा शास्त्र और अध्यात्म शास्त्र का ग्रंथ भी कहा जा सकता है। रिपब्लिक एक ऐसा ग्रंथ है जिसका अब तक पृथक्करण नहीं हो पाया है। रिपब्लिक का अर्थ है राज्य अथवा गणराज्य । इसमें प्लेटो सद्गुणी जीवन पर विचार कर रहा था। उसका मत था कि सद्गुणी जीवन समाज में ही प्राप्त हो सकता है। व्यक्ति और समाज का अटूट संबंध है इसलिए उसने रिपब्लिक में आदर्श राज्य का चित्रण किया। बार्कर के अनुसार प्लेटो ने रिपब्लिक में निम्नलिखित चार प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयत्न किया गुणी व्यक्ति के क्या लक्षण है और उसका निर्माण कैसे हो सकता है। सद्गुणी राजा के क्या लक्षण है और उसका निर्माण कैसे हो सकता है। वह कौन सा ज्ञान है जो सद्गुणी व्यक्ति में सद्गुणी बनने के लिए होना चाहिए और किस प्रकार एक सद्गुणी राज्य अपने नागरिकों को उस ज्ञान की ओर जाने के लिए रास्ता दिखा सकता है जो सद्गुणी जीवन का आधार है। . पहले प्रश्न का उत्तर नीतिशास्त्र से मिलता है। दूसरे का राजनीतिशास्त्र से तीसरे का अध्यात्मशास्त्र से और चौथे का उत्तर भी नीतिशास्त्र से मिलता है। स्टेट्समैन ( STATESMAN) एक संक्षिप्त परिचय प्लेटो के दूसरे ग्रंथ का नाम स्टेटसमेन है। यह रिपब्लिक के कुछ वर्ष बाद लिखा गया। इसकी शैली संवादात्मक है। इसमें एक एसे महामानव की कल्पना की गई है जो राज्य चलाने में सक्षम हो। इसमें प्लेटो लोकतंत्र का इतना कट्टर विरोधी नहीं है जितना कि रिपब्लिक में था। कानून के प्रति भी उसका दृष्टिकोण बदल गया था। संसार की वास्तविकताओं के कारण उसका आदर्शवाद कमजोर हो गया था!
2. स्टेट्समैन में प्लेटो राजविज्ञ को कानून से ऊपर रखना चाहता है। लेकिन व्यवहारिक अनुभव के कारण वह ऐसा नहीं कर पाता। एक तो उपयुक्त राजविज्ञ का मिल पाना कठिन कार्य है यदि मिल भी गया तो वह राज्यहित में कार्य करेगा या नहीं इसका कोई भरोसा नहीं। इसी समस्या के कारण उसने राज्य में कानून के शासन पर बल दिया। लेकिन वह लोकतंत्र के पक्ष में नहीं था। उसका मानना था कि एक कुशल चिकित्सक रोगी के मत से उसे दवाई नहीं देगा क्योंकि लोकतंत्र में हुर कोई रोगी (भ्रष्ट) होता है जिसे उचित शाषक ही ठीक कर सकता है । प्लेटो ने इस ग्रंथ में राज्यों के प्रकारों की व्याख्या भी दो आधारों पर की है एक प्रभुसत्ता कितने लोगों के पास है और दूसरी जिनके हाथों में प्रभुसत्ता है क्या वह कानूनों का अनुसरण करते हैं या नहीं . प्रभुसत्ता एक व्यक्ति के हाथ में हैं तथा कानूनानुसार शाषन (ROYALTY) राजतंत्र प्रभुसत्ता एक व्यक्ति के हाथ में तथा कानून की अपेक्षा की जाती हो (TYRANNY) अत्याचारतंत्र प्रभुसत्ता कुछ लोगों के हाथ में तथा कानूनानुसार शाषन ( ARISTOCRACY) कुलीनतंत्र प्रभुसत्ता कुछ लोगों के हाथ में तथा कानून की उपेक्षा (OLIGARCHY) सामंततंत्र प्रभुसत्ता कुछ लोगों के हाथ में चाहे कानून अनुसार हो या उसकी उपेक्षा (DEMOCRACY) लोकतंत्र उपर्युक्त कथनों के अनुसार हम कह सकते हैं कि प्लेटो ने अपने दूसरे ग्रंथ में अधिक व्यावहारिकता दिखाते हुए कानून के महत्व को स्वीकारते हुए राजविज्ञ पर कुछ कानून द्वारा रोक लगाने को स्वीकार किया।
3. द लॉज एक संक्षिप्त परिचय यह प्लेटो की अंतिम कृति तथा सबसे लंबा संवाद है। प्लेटो ने इसे शायद 70 वर्ष की आयु में लिखा था। इसमें नगर राज्य की समस्याओं पर प्लेटो के चिंतन तथा मनन के अंतिम परिणाम प्रस्तुत किए गए हैं प्लेटो की रिपब्लिक दार्शनिक लेखन के समूचे क्षेत्र में महान है जबकि यह एक कठिनाई से बनाई जाने वाली कृति है। इसकी लेखन शैली लेखक की क्षीण होती हुई साहित्यक क्षमता का ही परिचय देती है। इसमें कला का पूर्णत: अभाव है। इसमें संवाद का क्रम भी अत्यंत अस्त व्यस्त हैं।
4. Meno में सद्गुणों को पढ़ाने पर बल दिया।
5.MENEXENUS इसमे पेरिविलियन स्वर्ण युग की आलोचना की गई है।
6. GORGIAS इसमें प्लेटो ने विवेक द्वारा निर्णय पर बल दिया है।
7. SYMPOSIUM इसमें उसने प्यार पर बल दिया है।
8. TIMAEUS इसमें उसने जीवन तथा भगवान पर प्रकाश डाला है।
9. PHILEBUS यह ETHICS एवं अच्छी जिंदगी पर बल देता है।