सुंदरकांड का नाम सुंदरकांड क्यों है

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रामायण सात कांड है प्रत्येक कांड के नाम से उस कांड के अंदर कौन सी कथा है यह पता चलता है किंतु एक सुंदर काण्ड में सुंदर क्या है महर्षि वाल्मिकी और सभी रामायण लेखकों ने उस कांड का नाम सुंदर काण्ड क्यों कहा है?

रामायण के सभी कांडो के नाम उच्चारण से ही उसके अंदर कौन सी कथा होगी !इसका आभास हो जाता है जैसे बाल कांड अर्थात भगवान श्री राम की बाल लीलाओं का वर्णन।

अयोध्या काण्ड अर्थात अयोध्या में हुई घटनाओं लीलाओं का वर्णन।

अरण्य काण्ड अर्थात रामजी द्वारा वन में जंगल में क्या क्या लीलाएं हुए घटनाएं हुई उनका वर्णन।

किष्किंधा कांड का मतलब बाली सुग्रीव के किसकिंधा नगर में हुई समस्त घटनाओं का वर्णन।

युद्ध कांड या लंका काण्ड का मतलब लंका में हुए सम्पूर्ण युद्ध का वर्णन।

उत्तर कांड का मतलब सम्पूर्ण कथा का सार तत्व, उत्तर अर्थात पूरी कथा का निष्कर्ष क्या है।

लेकिन इसके बीच में सुंदर काण्ड का मतलब क्या है तो इसका अर्थ उस विषय की सुंदरता से है क्या या कुछ और कारण है सुंदर काण्ड का आज इसका विश्लेषण करते हैं।

क्यों सुंदरकांड को सुंदरकाण्ड कहा गया

सुंदरकांड का सुंदर काण्ड क्यों रखा गया इसका प्रमुख कारण है कि लंका जो भगवान शिव ने बनाई थी और अपने जिस शस्त्र की सहायता से बनाई उसको त्रिसूल कहते हैं और त्रिशूल में तीन नोक होती हैं जिससे समुद्र के मध्य में जो पर्वत निकला या ऊपर आया उसका नाम त्रिकुटाचल पर्वत है जिस पर पूरी लंका का भूभाग है। त्रिकुटाचल पर्वत अर्थात पूरे पर्वत के मुख्य तीन भाग हैं अर्थात त्रिकुटाचल पर्वत तीन पर्वतो के की श्रंखला है।

श्री लंका के त्रिकुटाचल पर्वत का रहस्य-सीतालिया क्या है

त्रिकुटाचल पर्वत अर्थात पूरे पर्वत के मुख्य तीन भाग हैं अर्थात त्रिकुटाचल पर्वत तीन पर्वतो के की श्रंखला है।

जिसमे से पहला पर्वत वह भूभाग है जिसको सुबैल पर्वत कहते हैं यह जगह पहाड़ होते हुए समतल जगह है बड़े बड़े मैदान हैं और रामायण के अनुसार इसी भूभाग पर श्रीराम जी की सेना का पड़ाव था और इसी भूभाग पर श्रीराम रावण की सेनाओं का युद्ध हुआ था।

दूसरा भाग नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे अर्थात रावण और उसके वृहत परिवार के महल थे, जनता का निवास था।

और तीसरा पर्वत वह था जहां पर विभिन्न प्रकार के बाग बगीचे, मंदिर और खेती आदि होती थी, बाग बगीचे,निकुंभला देवी मंदिर, शिवाला अर्थात रावण के आराध्य भगवान शिव का मंदिर सब कुछ इसी पर्वत पर था और उस पर्वत का नाम सुंदर पर्वत था।

अशोक वाटिका भी इसी पर्वत पर स्थित है जिसको श्रीलंका में अब सिंहली भाषा में सितालिया बोला जाता है अर्थात सीता का निवास स्थान।

सुंदरकांड का वो सच जो सभी जानते है

हनुमान जी जब सीता माता की खोज में गए, तो उन्होंने नील पर्वत के एक एक घर में यात्रा की गए खोजा, गोस्वामी जी ने लिखा है “मंदिर मंदिर प्रति कर सोधा”

शोध का मतलब ढूंढा और जब उनको वहां कोई सुराग नहीं लगा और उनकी मुलाकात विभीषण जी से हुई और उनसे यह पता चला कि माता सीता अशोक वाटिका में कड़े पहरे में रखी गई हैं और वह वहां पहुंचते हैं। फिर वही सीता माता से मुलाकात होती है, वही की वाटिकाओ से फल खाते हैं वाटिका के पेड़ पौधे तहस नहस करते हैं और राक्षस पहरेदार जब उनको रोकते हैं! तो उनको थप्पड़ रसीद करते हैं फिर वह सेना की टुकड़ी के साथ आकर उनपर प्रहार करते हैं ! फिर उनकी पिटाई शुरू होती है, फिर बड़ी सेना आती है!

 अस्त्र शस्त्र से हनुमान जी को मारने की कोशिश करते हैं फिर हनुमान जी उन सभी राक्षसों जिन्होंने उन पर हमला किया सबका वध कर दिया सेनापति भी मारा गया।इसके बाद रावण को सूचना गई उसका बेटा अक्षय आता है और कुछ लड़ाई के बाद वह भी मारा जाता है फिर मेघनाद आता है। उसके साथ बड़ा भयंकर युद्ध होता है जिसमे हनुमान जी ने मेघनाद को पूरी तरह से छका दिया। अंत में वह ब्रह्म फांस अस्त्र का प्रयोग करता है जिसमे ब्रह्मा जी का मान रखते हुए हनुमान जी ने कोई विरोध किए बिना अपने आप को बांध जाने देते हैं।

इसके बाद नील पर्वत के सारी बस्ती जलाकर हनुमान जी समुद्र में पूछ बुझाकर फिर यही आकर माता सीता को प्रणाम करते हैं। और यही पर माता सीता उनको वरदान देती हैं उनको

हमेशा के लिए अजर अमर कर देती हैं उनको यह वरदान देती हैं कि भगवान राम हमेशा तुमको प्यार करे स्नेह करे कृपा करे। 

निष्कर्ष - सुंदर काण्ड नाम देने के प्रमुख कारण

 सुंदर काण्ड नाम देने के प्रमुख कारण।

1. सारी घटनाएं  लीलाएं सुंदर पर्वत हुई इसलिए सुंदर काण्ड कहा है।

2. यहां पर हनुमान जी को वह वरदान मिला कि करही सदा रघुनायक छोहु अर्थात भगवान राम आपसे हमेशा प्यार करें ऐसा वरदान कभी किसी को नही मिला वह वरदान जो रामायण का पूरा सार है उनको हमेशा के लिए राम भक्ति मिल गई इसलिए सुंदर काण्ड है।

3. अन्य सभी कांड में रामायण के हीरो अर्थात भगवान श्रीराम की लीलाएं हैं किंतु इस कांड में उनके परम भक्त श्रीहानुमान की लीलाओं का वर्णन है अर्थात भगवान के भक्त द्वारा जो लीला हुए उनको भी हनुमान जी ने अपने द्वारा नही की गई कहकर कहा कि सब कुछ श्रीराम जी ने किया मेरी क्या औकात है सब प्रभु राम की कृपा है उनकी विनय शीलता को प्रणाम है इसलिए भी सुंदर काण्ड है क्योंकि इस कांड में हनुमान जी पूर्ण तह अहंकार रहित हो गए इसलिए सुंदर काण्ड है।

तो आशा है आप सबको दी गई जानकारी पसंद आयी होगी !

 अस्तु जय सियाराम।

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