अयोध्या में आज भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है मित्रो बहुत भावुक ज्ञानवर्धक कथा है, जब भगवान शंकर को पता चलता है, कि रामावतार हो चुका है, तो वह प्रभुश्रीराम के बालरूप के दर्शन करने के लिये कागभुशुण्डि जी के साथ मनुष्य का रूप बना के अयोध्या आते हैं, आगे क्या होता है सुनिए,
जिस समय भगवान राम का जन्म हुआ तो चारों और उत्सव मनाया जा रहा है। भगवान शिव भी भगवान राम के बाल रूप का दर्शन करने गए थे। वही कथा पार्वती माँ को सुना रहे है। भगवान शिव कहते हैं पार्वती जिस समय भगवान का अवतरण हुआ था उस समय मुझसे रहा नही गया। मैं अपने मन को रोक नही पाया और तुरंत अवधपुरी पहुंच गया। मेरी चोरी ये थी की मैंने तुमको अर्थात पूर्व जन्म की सतीजी को भी नही बताया। भगवान ये कहना चाह रहे हैं की जब भगवान का बुलावा आये तो किसी का इंतजार मत करना। और एक मानव रूप धारण कर लिया।
पार्वती बोली की आप महादेव हो फिर मानव बनकर क्यों गए?
भगवान शिव बोले हैं की जब महादेव के देव भी मानव बनकर आ सकते हैं तो मैं मानव ना बनूँ तो ये कैसे हो सकता हैं?
जैसे ही अयोध्या में पहुंचा तो देखा वहां पर बहुत भीड़ लगी हुई हैं। भोलेनाथ बहुत प्रयास कर रहे हैं राम जी के दर्शन करने का। लेकिन नही जा पा रहे हैं। शिवजी ने थोड़ी ताकत लगाई हैं और थोड़ा धक्का दिया हैं। जैसे ही शिव ने धक्का दिया हैं तो अंदर से ऐसा धक्का आया हैं की भोले नाथ दूर जाकर मंदिर के एक शिवलिंग के पास टकराकर गिर गए हैं।
भोलेनाथ बोले की ये लो, हो गए दर्शन। राम जी के तो हुए नही पर मेरे खुद के हो गए।
भोलेनाथ ने सोचा की ऐसी भीड़ में दर्शन कैसे हो? तब भोलेनाथ को याद आई मेरा एक चेला साथ आया हैं वो दिखाई नही दे रहा हैं। यहीं कहीं ही होगा। वो चेला हैं काकभुशुण्डि जी महाराज। सोच रहे हैं की भगवान का दर्शन करने जरूर आये होंगे। जैसे ही भोलेनाथ ने इन्हे याद किया हैं तो काकभुशुण्डि जी तुरंत आ गए हैं। क्योंकि कौवे के रूप में हैं।
भोलेनाथ को कहते हैं महादेव कैसे बुलाया हैं। जल्दी बताइये।
भोलेनाथ बोले की जल्दी बताऊ। पर क्यू? कहाँ जाना हैं?
काकभुशुण्डि जी बोले की आपके लिए पीछे उत्सव छोड़ कर आया हूँ।
शिव जी बोले की तुम कहाँ थे?
उसने कहा की प्रभु मैं तो अंदर ही था। दशरथ जी खूब आनन्द लूटा रहे हैं। बड़ा आनंद हो रहा हैं।
भगवान शिव बोले की बढ़िया हैं। मानव को तो भीड़ के कारण रोक सकते हैं पर कौवे को कौन रोकेगा। वाह! चेला आनंद ले रहा हैं और गुरु यहाँ बैठा हैं।
भोलेबाबा कहते हैं की चेला जी कोई युक्ति बताइये, हमे भी दर्शन करवाइये।
काकभुशुण्डि जी ने कहा की महाराज चलो कोई युक्ति बनाते हैं।
काकभुशुण्डि ने भी मानव रूप धारण कर लिया। बहुत बार प्रयास किया हैं लेकिन इन्हे अंदर नही जाने दिया। अब जब काफी समय हुआ तो भगवान राम ने भी रोना शुरू कर दिया। इनके मन में भी भोले बाबा के दर्शन करने की तड़प जाग गई हैं। अब राम जी दुःख में तड़प कर रो रहे हैं। और जब ये पीड़ा भरी पुकार मैया के कानों में गई हैं तो कौसल्या जी बिलख पड़ी हैं। की मेरे लाल को आज क्या हो गया हैं। इधर भोले बाबा ने भी पूरा नाटक किया है। भोले बाबा एक 80 साल के ज्योतिष बन गए हैं। गोस्वामी जी ने गीतावली में इस भाव को बताया हैं।
और स्वयं ज्योतिषी बन कर काकभुशुण्डि जी को अपना शिष्य बना लिया है और सरयू जी के किनारे बैठ गए है। जितने भी लोग रस्ते से आ-जा रहे है भगवान शिव सबके हाथ देख रहे है। और भविष्यवाणी कर रहे हैं। अब अवधपुरी में चर्चा शुरू हो गई हैं कोई बहुत बड़ा ज्योतिषी आ गया हैं। गोस्वामी जी कह रहे हैं।
अवध आजु आगमी एकु आयो।
जब भगवान राम ने रोना शुरू किया हैं तो माँ बहुत परेशान हैं। गुरु वशिष्ठ जी को खबर की गई हैं। लेकिन वशिष्ठ जी व्यस्त हैं। इतने में एक नौकर आकर बोला की मैया,” मुझे खबर मिली हैं की एक बहुत बड़ा ज्योतिषी अवध पूरी में आया हैं। आपकी आज्ञा हो तो उसे बुला लाऊँ।”
माँ तो परेशान थी। मैया ने कहा- की जाओ और जल्दी बुला कर लाओ। बस मेरे लाल का रोना बंद हो जाये।
दौड़े दौड़े सेवक गए हैं । भोले बाबा सरयू नदी के किनारे बैठे हुए हैं। नौकरों ने कहा की आप ही वो ज्योतिषी हैं जिसकी चर्चा हर जगह फैली हुई हैं।
भोले बाबा बोले तुम लोग कहाँ से आये हो?
वो बोले की हम राजभवन से आये हैं।
ये सुनते ही भोले नाथ का रोम-रोम पुलकित हो गया हैं। समझ गए हैं की मेरे राम ने ही इन्हे भिजवाया हैं।
भगवान शिव बोले की क्या करना हैं बोलो?
वो सेवक बोले की महाराज जल्दी चलिए, सुबह से लाला आज बहुत रो रहे हैं। रानी ने आपको बुलाया हैं।
भोले नाथ जैसे ही चलने लगे तो काकभुशुण्डि जी कुरता पकड़ लिया हैं। की महाराज मैं भी तो आपके साथ में हूँ। मुझे भी साथ लेके चलो।
भोले नाथ बोले की तुमने दर्शन तो कर लिए हैं। तुम जाकर क्या करोगे?
काकभुशुण्डि जी कहते हैं की मैंने दर्शन तो किया हैं पर स्पर्श नही किया हैं प्रभु का। यदि तुम स्पर्श करवाओगे तो ठीक नही हैं नही तो अभी पोल खोलता हूँ तुम्हारी। जितनी भी कृपा होगी उस पर हमे भी तो मिलनी चाहिए।
भोले नाथ बोले की ठीक हैं आपको भी दर्शन करवा देते हैं पर आप पोल मत खोलना।
जब राजभवन पर पहुंचे हैं तो पहरेदारों ने रोक लिया हैं। हाँ भैया कौन हो और कहाँ जा रहे हो?
नौकर बोले की इन्हे रानी ने बुलाया हैं। ये ज्योतिषी हैं। इन्हे अंदर जाने दो।
अब भोले बाबा राजभवन में अंदर प्रवेश करने लगे हैं पर काकभुशुण्डि जी को रोक लिया हैं। पहरेदार बोले ठीक हैं ये ज्योतिषी हैं तो अंदर जा रहे हैं पर ये साथ में कौन हैं जो अंदर चला जा रहा हैं। इनके अंदर जाने का क्या काम? दशरथ जी का आदेश हैं की किसी अनजान को अंदर नही आने देना हैं।
भोले बाबा मुस्कुरा कर अंदर जाने लगे हैं तभी काकभुशुण्डि बोले की प्रभु साथ लेके जाओ नही तो पोल खोलता हूँ अभी।
भोले बाबा बोले की ठीक हैं मैं कुछ करता हूँ। भोले बाबा कहते हैं की भैया बात ऐसी हैं। मैंने सैकड़ों साल का बूढ़ा हो गया हूँ। ज्योतिषी तो पक्का हूँ पर आँखों से कम दिखाई देता हैं। ये मेरे चेला हैं। इनके बिना मेरा काम नही चलेगा। फिर कगभसुंड जी को भी अंदर साथ प्रवेश मिल गया।
मैया बोली की करो महाराज अब जो आपको अपना झाड़-फूँक करना हैं।
भोले नाथ बोले की मैया- इतनी दूर से कुछ नही होगा। ना तो तू मुँह दिखा रही। ना तू स्पर्श करवा रही। बिना मुँह देखा और बिना स्पर्श करे मैं कुछ नही कर सकता हूँ। मुझे एक एक अंग देखना पड़ेगा की नजर कहाँ लगी हैं। नाक को लगी हैं या आँख को लगी हैं।
मैया बोली की दूर से कुछ नही होगा?भोले नाथ बोले-मैया दूर से कुछ भी नही होगा।
आज मैया ने अपनी साडी का पल्लू उठा लिया और जो राम जी अब तक रो रहे थे भगवान शिव को देख कर खिलखिलाकर मुस्कुराने लगे हैं।
मैया बोली-महाराज आप तो कमाल के ब्राह्मण हो। आपने सिर्फ लाला को देखा ही हैं और लाला का रोना बंद कर दिया हैं।
भगवान शिव बोले की मैया अभी तो नजर पड़ी हैं और रोना बंद हो गया हैं अगर तू गोदी में दे दे तो हमेशा के लिए आनंद आ जाये।
अब मैया ने तुरंत राम जी को लेकर भोले नाथ की गोदी में दे दिया हैं। जैसे ही भगवान श्रीराम, भगवान शिव की गोदी में आये हैं। मानो साक्षात शिव और राम का मिलन हो गया हैं। भगवान शिव की नेत्रों से आंसू बहने लगे हैं। अब तक जिस बाल छवि का मन में दर्शन करते थे आज साक्षात दर्शन हो गए हैं। भोले नाथ कभी हाथ पकड़ते हैं, कभी गाल छूते हैं और माथा सहलाते हैं।
भगवान राम भी टुकुर-टुकुर अपनी आँखों से शिव जी को देखे जा रहे देखे जा रहे हैं। जब थोड़ी देर हो गई तो काकभुशुण्डि जी ने पीछे से कुरता पकड़ा हैं। और कहते हैं हमारा हिस्सा भी तो दीजिये। आपने आनंद ले लिया हैं तो मुझे पर भी कृपा करो।
अब भगवान शिव जब राम को काकभुशुण्डि की गोद में देने लगे तो मैया ने रोक दिया हैं। की इनकी गोद में लाला को क्यों दे रहे हो?
भगवान शिव बोले की मैया मैं बूढ़ा हो गया हूँ ये मेरे चेला हैं। ये हाथ देखेंगे और मैं भविष्य बताऊंगा।
काकभुशुण्डि जी की गोद में लाला को दे दिया हैं। अब काकभुशुण्डि जी भी भगवान का दर्शन पा रहे हैं। और भोले नाथ ने भगवान का सारा भविष्य बताया हैं। सब बता दिया हैं की आपके लाला कोई साधारण लाला नही होंगे आपका लाला का जग में बहुत नाम होगा। आपके लाला के नाम से ही लोग भव सागर से तर जायेंगे।
मैया बोली की ये सब ठीक हैं पर ये बताओ की लाला की शादी कब होगी?
भोले नाथ बोले की इतना बता सकते हैं आगे चलकर आप थोड़ा ध्यान रखना। एक बूढ़े बाबा एक ऋषि आपके लाला को आपसे मांगने के लिए आएंगे। और जब वो मांगने आये तो तुम तुरंत दिलवा देना। मना मत करवाना। क्योंकि आपके लाला उनके साथ चले जायेंगे तो वहां से बहू लेकर ही आएंगे।
कौसल्या जी बोली की आप चिंता मत करो महाराज ये बात मेरे दिमाग में लिख गई गई हैं। मैं इसे हमेशा याद रखूंगी। इस प्रकार भोले बाबा ने सब बताया हैं।
मैया ने बोला की आपने बड़ी कृपा की हैं मेरे लाला का रोना बंद करवा दिया हैं। मेरे लाला का भविष्य बता दिया हैं। अब मेरे लाला को आशीर्वाद भी दे दीजिये।
भगवान शिव ने खूब आशीर्वाद दिया हैं। हे राम! आप जुग-जुग जियो। सबको आनंदित करो। इस प्रकार से भोले नाथ बड़ी मस्ती में राम जी को आशीर्वाद देके अपने धाम पधारते है।
भोले नाथ जी पार्वती से कहते है की इस चरित्र को सब लोग नही जान सकते। बस जिस पर श्री राम की कृपा होगी वो ही लोग इस चरित्र को जान सकते है।
पार्वती जी कहती है महाराज हम पर राम जी की कृपा बनी हुई है तभी हम ये सब जान पाये है।तो मित्रो अब वापस आइए जन्मोत्सव से श्रीराम जी के महल से और फिर शिव जी के घर से इस भौतिक संसार में और कमेंट के माध्यम से बताइए कि कैसा लगा यह शिवराम के मिलन का प्रसंग अस्तु। जय बालरूप श्री राम। जय जय भोलेनाथ।
बहित ही अच्छा लगा यह कथा का रसास्वादन करके