आज का विषय हमारे एक दर्शक श्रीमान उदय प्रताप सिंह रायपुर छत्तीसगढ़ द्वारा पूछा गया यह प्रश्न
करहूं सदा तिनकी रखवारी।जिमि बालक राखै महतारी।।
karahoon sada tinakee rakhavaaree. jimi baalak raakhai mahataaree”(Awadhi language)
उदय जी की यह चौपाई श्री रामचरित मानस से ही ली गई जिसमे तुलसीदास जी यह बतलाया है।साधारण अर्थ:ईश्वर हमेशा अपने भक्तो की रक्षा ठीक वैसे करते हैं जैसे एक माता अपने बच्चे की करती है।
Today’s topic was asked by one of our visitors Mr. Uday Pratap Singh Raipur Chhattisgarh
This quadrant of Uday ji is taken from Shri Ramcharit Manas in which Tulsidas ji has told it. Simple Meaning: God always protects his devotees exactly as a mother does to her child.
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गूढ़ार्थ:करउँ सदा तिन्ह कै रखवारी ! जिमि बालक राखइ महतारी॥ God always protects his devotees exactly as a mother does to her child.
यहां भक्त को एक अबोध बालक की संज्ञा देते हुए तुलसीदास जी कहते है कि जो व्यक्ति इस कर्म प्रधान मृत्युलोक में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए उसके परिणामों को ईश्वर पर छोड़ देता है पूरी तरह से ईश्वर में ही संलग्न होते हुए ईश्वर पर ही आश्रित हो जाता है!
Here, calling the devotee an innocent child, Tulsidas ji says that the person who discharges his duties in this Karmapriya maryaloka leaves his results on God, being completely dependent on God while engaging in God itself goes!
ईश्वर उनकी रक्षा ठीक वैसे करते है जैसे एक माता अपने अबोध बालक के लिए करती है, बालक स्वयं शुशु करके अपना बिस्तर गीला करता है किन्तु उसको सर्दी न लग जाए इसलिए उसकी माता उसको सूखे में लिटाकर उसके शुशू वाले भाग में गीले में स्वयं लेट जाती है। खुद भूखी हो या प्यासी हो किन्तु बच्चे को अपने दूध से फीडिंग कराती है। खुद भूखी रहकर बच्चे को खाना खिलाती है!
God protects them in the same way as a mother does for her innocent child, the child starts his own bed wetting it, but he does not get cold so his mother lays him in the dry and lies in the wet part of his dry self. is. She herself is hungry or thirsty, but feeds the child with her milk. Being hungry, he feeds the child food!
इसीलिए कहा गया है कि कोई भी संतान कभी अपनी माता और पिता के ऋण से मुक्त नहीं होता है उसी प्रकार ईश्वर जिसने हमारी आत्मा को यह पंचतत्व से बना मानव शरीर देकर ईश्वर प्राप्ति का साधन दिया है और अगर हम उस शरीर का उपयोग उस नेक काम में करते है तो मुक्ति भी मिल सकती है।
That is why it is said that no child is ever free from the debt of his mother and father, similarly God who has given our soul the means of attaining God by giving it a human body made of this five elements and if we use that body for that noble work If you do it, you can also get liberation.
क्या कहते हैं दूसरे सनातन ग्रन्थ इस विषय पर?What other Sanatan texts say on this subject?
यह चौपाई सनातन धर्म के समस्त शास्त्रों का सार है ठीक वैसे जैसे दूध जमाकर दही बनाकर फिर उसको मथकर मक्खन निकाला जाता है और फिर उसको गर्म करके घी निकाला जाता है वैसे ही यह चौपाई रामायण के घी के समान है। इसके लिए हम यहां आपको कुछ और ग्रंथों के संक्षिप्त उदाहरण देकर समझाते हैं।
This chaupai is the essence of all the scriptures of Sanatan Dharma, just as milk is made with curd, then it is churned and butter is removed and then it is heated and ghee is extracted. For this we explain here by giving you brief examples of some more texts.
मुंडकोपनिशद के सर्ग 3 अध्याय 2 के श्लोक 1 में कहा गया है Mundakopanishad states verse 1 of Canto 3 chapter 2
स वेदै तत परम ब्रह्म धाम यत्र विश्वम निहितं भांति शुभ्रम।
उपासते पुरुषं ये ह्यकामा स्त्ते शुक्र मेत द ति वर्तन्ती धीरा:।
अर्थात वह निष्कामभाव वाला पुरुष इस परम विशुद्ध प्रकाशमान ब्रह्म धाम स्वरूप परमेश्वर को जान लेता है जिसमे सम्पूर्ण जगत स्थित हुआ प्रतीत होता है जो भी कोई निष्काम साधक परम पुरुष परमेश्वर की उपासना करते हैं वे इस रजो वीर्य मय संसार का अति क्रमण कर जाते हैं।
That is, that malefic person knows God in the form of this perfect pure light Brahman Dham in which the whole world seems to be situated. Any soulless seeker who worships the ultimate male God, he becomes very proud of this world.
महाभारत के अनुशासन पर्व पेज 149 के श्लोक 142 में कहा गया है! The Anusaasan Parv page 149 of Mahabharata says in verse 142
किविश्वश्वरमजम देवम जगत: प्रभवापय्यम। भजअंति ये पुष्कराक्ष्म न ते यांति पराभवम्।
अर्थात जो जगत की उत्पत्ति और विनाश करने वाले तथा समस्त संसार के एक मात्र अधिश्वर उस अजन्मा कमल लोचन परम देव का निरंतर भजन करते हैं वे पराभव को प्राप्त नहीं होते।
That is, those who are the originators and destroyers of the world and the only superintendent of the whole world, who sing the devotional hymn to that unborn Kamal Lochan Param Dev(God Krishna), do not achieve defeat.
विष्णु पुराण में ऋषि पुलस्त्य ने कहा है देखे सर्ग १ श्लोक ११/४६, In Vishnu Purana, sage Pulastya has said, see verse 1 verse 11/4.
परमब्रह्म परमधाम यो असो ब्रह्म तथा परम। तमा आराध्य हरिम याति मुक्तिमप्य्यती दुर्लभाम।
अर्थात जो पर निर्गुण और अपर सगुण ब्रह्म है वहीं परम धाम है ऐसे उन हरि की आराधना करके मनुष्य अति दुर्लभ मोक्ष भी पा सकता है!
That is, the one who has Nirguna and Upper Sagarm Brahm while there is the ultimate abode, by worshiping such hari, one can get very rare salvation!
गीता के अध्याय आठ के श्लोक २२ में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है !Lord Shri Krishna has said in verse 22 of the Gita chapter eight
कि पुरुष: स पर: पार्थ भक्त्या लभ्य अस्त्व अनन्यया ।यस्या अंत: स्थानि भूतानि येन सर्वमिदम् ततम।
अर्थात हे पार्थ मुझ परमात्मा के अंतर्गत सर्वभूत है और जिस सच्चिदानंद घन परमात्मा से यह जगत परिपूर्ण है वह सनातन अव्यक्त परम पुरुष तो अनन्य भक्ति से ही प्राप्त होने योग्य है।
That is, O Partha is all-encompassing under my God and the true God who is perfect with this world is only able to be attained with the utmost devotion.
here God Krishna Said to Arjuna that all encompassing under me and I live in everybody either it is visible or not.
भगवान राम ने स्वयं कहा है- Lord Rama himself has said
जो रामचरितमानस के इस दोहे से समझा जा सकता है
Which can be understood from this couplet of Ramcharitmanas
पुरुष नपुसंक नारि, वा जीव चराचर कोय।
सर्व भाव भज कपट तजि, मोहि परम प्रिय सोय।
अर्थात: स्त्री पुरुष नपुसंक या कोई चल अचल प्राणी जो सब भाव मतलब माया मोह त्याग कर सिर्फ मेरी आराधना करते हैं वह मेरे परम प्रिय होते हैं।
That is, the female, male eunuch or any movable and immovable creature who worships me only by sacrificing all meaning is my ultimate favorite.
आध्यात्म रामायण में भगवान राम अरण्य कांड के श्लोक ४/५१ में कहते हैं
In the Adhayam Ramayana(Book name), Lord Rama says in verse 4/51 of the Aranya scandal
” अतो मद भक्तियुक्त अस्य ज्ञानम विज्ञानमेव च।वैराग्यम च भवेच्च शीघ्रम ततो मुकतिम वाप्रूयात।”
अर्थात मेरी भक्ति से युक्त पुरुष को शीघ्र ही ज्ञान और विज्ञान तथा वैराग्य भी प्राप्त हो जाता है जिससे वह मुक्ति को पा जाता है
That is, a man with my devotion soon gains knowledge in all respective manner either scientific or spiritual, so that he attains liberation.
वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड श्लोक १८/३३ Valmiki Ramayana’s War Case Verse 14/33
सक्रदेव प्रपन्नाय तवा अस्मीति च याचते।अभयम सर्वभूते भ्योददा मयेतद व्रतम मम।
अर्थात मेरा यह व्रत है कि जो एक बार भी शरण में आकर मै तुम्हारा हूं ऐसा कहकर मुझसे रक्षा की प्रार्थना करता है उसे मैं उसको समस्त प्राणियों से अभय कर देता हूं।
That is, I observe this fast that once I come to the shelter and pray for protection from me by saying that I am yours, I make him abstain from all beings.
निष्कर्ष: गोस्वामी जी की यह चौपाई सभी शास्त्रों का सार है सभी जगह यह बतलाया गया है कि निर्गुण और सगुण ब्रह्म में कोई भेद नहीं है दोनों एक ही है। और कोई भी स्त्री पुरुष नपुसंक या कोई और प्राणी अगर अपने आप को प्रभु को सौंप कर उनका शरणागत होकर अपने आप को अपने सभी कर्मो को उनको सौंप देता है1
सिर्फ उनका स्मरण करता है उसकी भगवान ठीक उसी प्रकार से रक्षा करते है उसके सुख सुविधा का ध्यान रखते है जैसे किसी अबोध बालक का उसकी माता ख्याल रखती रक्षा करती है।उम्मीद करता हूं श्री उदयप्रताप सिंह जी को अपने प्रश्न का समुचित उत्तर मिल गया होगा।
Conclusion: This chaupai of Goswami ji is the essence of all the scriptures, everywhere it has been told that there is no difference between Nirguna and Saguna Brahma. Both are same. And if any woman, male eunuch or any other creature, surrenders herself to the Lord and surrenders herself to all her deeds, Only God reminds him that God protects him in the same way as he takes care of his happiness and comfort, as his mother takes care of an innocent child. Hopefully Mr. Udayapratap Singh ji must have got a proper answer to his question. .
फिर भी इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी के लिए आप हमारे वीडियोज
- धर्म की परिभाषा,
- ॐ नाम परमात्मा का है,
- ईश्वर क्या है, ईश्वर को क्यो माना जाए
- क्या भगवान निराकार है या साकार या दोनों हैआत्मा का परमात्मा से संबंध पार्ट १
- आत्मा का परमात्मा से संबंध पार्ट २भगवान का अवतार होने के लिए विशेष व्यक्ति में क्या गुण होने चाहिए।
- कलयुग की विशेषता कौन है अनुकरणीय आदि बहुत सारे वीडियो इसी चैनल पर उपलब्ध है जिनको देखेगे तो आप को अच्छा लगेगा!
अस्तु जय सियाराम।
पंडित विजय कुमार अवस्थी
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