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नवरात्रे साल में दो बार क्यो और कब से मनाए जाते है?

Adarsh Dharm ansuni katha kahani

नवरात्रि (navratri) साल में दो बार क्यो और कब से मनाए जाते है?

नवरात्रे (navratri) साल में दो बार क्यो और कब से मनाए जाते है?रावण पुत्र मेघनाद अजेय क्यो था? kya sabandh hai Ram or Ravan ka Navratri se

नवरात्रि का वर्णन कहाँ मिलता है ?

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि माता के नवरात्रि, वर्ष में दो बार आते है! एक चैत्र मास में और दूसरे अश्विन मास में, चैत्र मास के नवरात्रि तो आदिकाल सतयुग से चले आ रहे हैं जिनका वर्णन मार्कण्डेय पुराण में बड़े विस्तार पूर्वक बतलाया गया है और लगभग सभी लोगो को उन प्रसंगों की कथा कहानियों की सभी को कच्ची पक्की जानकारी है किन्तु साल में दूसरी बार नवरात्रे क्यों मनाए जाने लगे और कब से मनाए जाते हैं इसकी शायद आपको जानकारी नहीं होगी। और यह जानकारी आपको महर्षि अगस्त्य द्वारा लिखित और उनके शिष्य महर्षि कम्बन और पल्लव द्वारा वर्णित ग्रंथो में ही मिल सकती है।

आर्य-और-अनार्य कौन थे? who was arya-and-anarya

भगवान श्रीराम के बारे में आप सभी को मालूम है कि वह जन्म से आर्य अर्थात वैष्णव थे अर्थात उन्होंने जिस परिवार में अवतार लिया!

All of you know about Lord Shri Ram that he was an Arya, a Vaishnavite (Those who are worship lord vishnu) by birth, that is, the family he incarnated in!

वह परिवार सिर्फ भगवान विष्णु के उपासक थे और फिर जब महान वरदानी दसग्रीव रावण से युद्ध करने जा रहे थे! उसके पूर्व अनार्य अर्थात द्रविड़ अर्थात शैव जो भगवान शिव के उपासक थे! दोनों वैष्णव और शैव आपस में लड़ते रहते थे!

That family was only a worshiper of Lord Vishnu and then when the great Vardani Dasgriva name of ravan because he had 10 heads) was going to battle Ravana!

Prior to this, the non-Aryans i.e. Dravidians i.e. Shaivas who were worshipers of Lord Shiva and both Vaishnavas and Shaivas used to fight among themselves and worshiped.

उनकी एकता के लिए रामेश्वर महादेव की स्थापना करके भगवान शिव की उपासना करके यह आदर्श प्रस्तुत किया कि भगवान विष्णु और शिव दोनों एक ही है विष्णु ही शिव है और शिव ही विष्णु हैं।

Lord Shiva by establishing Rameshwar Mahadev for their unity presented the ideal that both Lord Vishnu and Shiva are one Vishnu is Shiva and Shiva is Vishnu.

रावण को शक्तियां कैसे प्राप्त हुई!From whom and how did Ravana get powers!

 तत्पश्चात जब राम रावण की सेनाओं के मध्य घमासान युद्ध चल रहा था, अजेय रावण को जिसके पास त्रिलोक की लगभग सभी शक्तियां विद्यमान थी जो उसके पास उसकी कठिन तपस्या के फलस्वरूप ब्रम्हा,शिव और माता के वरदान से मिली थी।

Thereafter, when a fierce battle was going on between the forces of Rama Ravana, the invincible Ravana who possessed almost all the powers of Trilok, which he got from the blessings of Brahma, Shiva and Mother as a result of his difficult penance.

परमब्रह्म परमात्मा भगवान विष्णु के साक्षात अवतार भगवान श्रीराम के लिए कोई भी शक्ति कोई मायने नहीं रखती!  परन्तु मानव लीला और पुरुषोत्तम के आदर्शो को स्थापित करने हेतु उन्होंने कोई दैवीय शक्तियों का प्रयोग नहीं किया अपितु उतने ही बल का प्रयोग किया जितने की जरूरत थी।

No power matters to Lord Shriram, the divine incarnation of the Supreme God, Lord Vishnu! But he did not use any divine powers to set the ideals of human Leela and Purushottam, but used as much force as was needed.

मेघनाद को मरने की क्या-क्या शर्तें थी !

आप सभी को मालूम है कि रावण के बेटा मेघनाद जिसकी पत्नी सती सुलोचना के सत के प्रभाव से वह अजेय था,उसके पास त्रिलोक की सारी शक्तियों के भंडार थे,उसके पास माता के दिए हुए तरह तरह के आयुध रथ और विद्याएं थी जिनके काट की जानकारी सिर्फ माता शक्ति के अलावा किसी को नहीं थी।

You all know that Meghnad, the son of Ravana whose wife Sati Sulochana was impregnated by the truth, he had all the treasures of Trilok’s power, he had all the kinds of weapons, chariots and teachings given by his mother, which he cut. The information was not known to anyone other than Mata Shakti.

मेघनाद पर विजय की कई रुकावट थी जिनको दूर करके ही कोई उसका वध कर सकता था।

There were many obstacles to victory over Meghnad, which could be killed only by removing them.

1- मेघनाद को माता का वरदान था कि जो व्यक्ति 12 वर्षों तक नीद, नारी, और भोजन त्याग करके मेघनाद से युद्ध करेगा वही उसका वध कर पाएगा।

1- Meghnad had the blessing of mother that the person who will fight Meghnad after sacrificing sleep, woman, and food for 12 years will be able to kill him.

2- मेघनाद की पत्नी सती सुलोचना की शपथ थी और माता का आशीर्वाद था कि जब भी सुलोचना अपने पति को टीका लगाकर, उसके गले में माता के पसंदीदा कमल पुष्पों का हार पहनाकर उसको युद्ध के लिए भेजेगी तो मेघनाद विजय प्राप्त करके है लौटेगा।

2- Meghnad’s wife Sati was the oath of Sulochana and mother’s blessing was that whenever Sulochana would put her husband on a necklace, wearing a necklace of mother’s favorite lotus flowers around her neck and send her to battle, Meghnad would win and return.

3- मेघनाद अगर अपनी तपस्या से माता निकुम्ला स्वरूप को सिद्ध कर लेगा और उनके द्वारा दिए गए रथ पर सवार हो गया तो उसका वध त्रिलोक की कोई शक्ति नहीं कर सकती थी।

3- If Meghnad could prove the form of Mother Nikumla by his penance and rode on the chariot given by her, then no power of Trilok could kill her.

मेघनाथ को लक्ष्मण ही क्यों मार सकते थे!?Why Laxman could kill Meghnath only?

यद्यपि आदिशक्ति महामाया स्वयं भगवान विष्णु की शक्ति है उनके आधीन है किन्तु अपने अपने भक्तो के लिए यह शक्तियां आमने सामने भी आ जाती हैं।

Although Adishakti Mahamaya is the power of Lord Vishnu himself, he is subject to it, but for his devotees, these powers also come face to face.

रामजी ने शिव पूजा करके उनको प्रसन्न करके रावण की शक्तियों को नष्ट करने का साधन पहले ही प्राप्त कर लिया था !किन्तु मेघनाद की उपर्युक्त तीनों शक्तियों वरदान का उनके पास काट नहीं था !अतः उन्होंने सप्त ऋषियों के समान महान ज्ञानी जामवंत से उसके वध का उपाय पूछा।

Ramji had already obtained the means of destroying Ravana’s powers by pleasing him by worshiping Shiva! But Meghnad had not cut off the boon of the above mentioned three powers of boon! Asked the solution.

 जामवंत जी ने उपर्युक्त तीनों कारण बतलाए और बोले कि ऐसा तपस्वी संसार में मिलना मुश्किल है जो संन्यास लिए बिना 12 साल से न सोया हो ,न भोजन किया हो, और न नारी के साथ सहवास किया हो। पूरे रामदल में ऐसा कोई नहीं था जब सभी शांत हो गए तो लक्ष्मण जी ने कहा कि भैया की कृपा से यह काम मेरे द्वारा पूरा किया है अतः मेघनाद का वध मेरे द्वारा होगा।

Jamwant ji told the above three reasons and said that it is difficult to meet in an ascetic world that has not slept, eaten, nor cohabitated with a woman for 12 years without retirement. There was no such thing in the whole Ramdal when everyone became calm, then Laxman ji said that by the grace of brother, this work has been done by me, so Meghnad will be killed by me.

रामजी के पूछने पर उन्होंने बतलाया कि जिस दिन से वह अयोध्या से आए तब से अब तक उन्होंने सिर्फ जल ही पिया है, तो रामजी ने पूछा कि जो तुम कंद मूल फल लाते थे उसमे से तीन हिस्से करके एक हिस्सा जो आपको देते थे वह तुम क्यों नहीं खाते थे। तो लक्ष्मण जी बोले कि आपकी आज्ञा नहीं थी आप मुझे फल देकर कहते थे यह लो आप रख लो तो फल लेकर मै कुटिया में रख देता था।

When Ramji asked, he told that from the day he came to Ayodhya, till now he had only drank water, then Ramji asked that three parts of the tuber which you used to bring the original fruits, which you gave to him. Why did not eat. So Laxman ji said that you did not have my permission, you used to give me fruits and used to say that you take it and I used to keep it in the hut.

वह आज तक वहीं रखे हैं। आपकी रक्षा हेतु मैं कभी भी सोता नहीं और इसकी विद्या मुझे ऋषि विश्वामित्र से मिली थी। मेरी पत्नी 13 साल से अयोध्या में है दूसरी किसी नारी से मेरा कोई अनुराग नहीं हुआ। अतः पहली शर्त वरदान का उत्तर तो लक्ष्मण के पास है।

He has kept it there till today. I never sleep to protect you and I learned this from sage Vishwamitra. My wife has been in Ayodhya for 13 years, I have no affection for any other woman. Therefore, the first condition is the answer to the boon.

दूसरी शक्ति, सती शक्ति का उपाय आप देखो, सती शक्ति का काट किसी के पास नहीं है भगवान स्वयं भुक्त भोगी है वह एक बार शापित होकर शालिग्राम बन चुके!  एक बार तीनों महाशक्ति बालक बन चुके थे। इसका उपाय राक्षसराज विभीषण ने अपने सिर लिया, और कहा कि वह अपने विश्वस्त आदमी जिस पर मेघनाद भी भरोसा करता है से कहलाकर उसको यज्ञ करने की शिक्षा देगा और यज्ञ करते समय उसके विध्वंस में ही लक्ष्मण उसको ललकार कर युद्ध करेगे और वध करेगे।

Second power, you see the remedy of Sati Shakti, no one has the bite of Sati Shakti. Once all three superpowers had become children. Raksharaj Raja Vibhishan took his head for this, and said that he will teach his Yagna to be called from his trusted man, who also trusts Meghnad, and while doing the Yajna, Lakshman will fight and slaughter him in his demolition.

रामजी ने क्यों की शक्ति की उपासना? Ramji ne kyon ki shakti ki upasana

तीसरी शक्ति माता की यज्ञ उसके रथ के काट के लिए रामजी को उपाय करना था! युद्ध के बीच में अब चैत्र का इंतजार नहीं हो सकता था !

The third Shakti Yajna was to be done by Ramji to remedy his chariot! Chaitra could no longer wait in the midst of war!

अतः सभी दिन एक समान कह कर भगवान श्री राम ने माता दुर्गा की याद किया और उनकी उपासना में व्रत रखा, पूजन भजन के उपरांत युद्ध करते थे! रात को माता की आरती करके सोते थे।

Therefore, saying all the days alike, Lord Rama remembered Goddess Durga and kept a vow in her worship, worshiped after worshiping hymns! In the night, he used to sleep by doing aarti of Mother.

इस तरह भगवान श्रीराम ने नौ दिन तक लगातार निर्जला उपवास रखकर युद्ध किया था, माता ने प्रसन्न होकर भगवान राम को दर्शन दिए और बोली हे माया पति हे प्रभु हे जगन्नाथ आप की आज्ञा सिरो धार्य है मेघनाद की यज्ञ पूरी होने के पहले अगर उसकी यज्ञ विद्वंश हो गई और वह अंतिम आहुति न डाल पाया तो ही लक्ष्मण उसका वध कर पाएगा!

In this way, Lord Shri Ram had fought for nine days continuously by keeping a fast of life, Mother appeared pleased and appeared to Lord Rama and said, O Maya, O Lord, Lord, Lord Jagannath! Laxman will be able to kill him only when he is stunned and he is unable to make the final sacrifice!

किन्तु अगर उसकी अंतिम आहुति हवन कुंड में पड़ गई तो फिर मुझे मेघनाद को अजेय रथ शस्त्र देने ही पड़ेंगे और यह प्रभु आप का ही आदेश है कि भक्त को निराश नहीं करना है मै तो आपके आदेश का पालन करती हूं। इस तरह मेघनाद वध का पूरा ज्ञान रामजी को माता दुर्गा ने ही बतलाया था।

But if his final sacrifice falls in the havan kund, then I will have to give Meghnad the invincible chariot weapon and it is your command not to disappoint the devotee, I obey your order. In this way, Goddess Durga had told the entire knowledge of Meghnad slaughter.

 माला पहनकर आया था !अतः उस दिन मेघनाद हारकर भी जीता था लक्ष्मण जीत कर भी मूर्छित हुए थे उनको लेने के देने पड़ गए थे वह विजय सुलोचना के सतीत्व की थी।

He came wearing a garland, so Meghnad had won that day even after losing; Lakshmana was also unconscious after winning and had to give him to take him.

उसके बाद कुंभकर्ण लडा और उसकी मृत्यु से घबराए हुए रावण मेघनाद को विभीषण का खास वफादार साथी मेघनाद को देवी निकुंभला के यज्ञ और उनसे प्राप्त होने वाले अजेय रथ और ब्रम्हा के वरदान की याद दिलाता है !

Ravana, who then fought Kumbhakarna and bewildered by his death, reminds Meghnad of Vibhishana’s special faithful companion Meghnad, the yajna of the goddess Nikumbhala and the invincible chariot and Brahma that he received from him.

जिसको सुनकर रावण उसको यज्ञ के लिए शीघ्र जाने का आदेश देता है। महान पित्र भक्त मेघनाद पिता की आज्ञा को सर्वोपरि मानकर यज्ञ का अनुष्ठान करता है और विभीषण लक्ष्मण और कुछ वानर वीरो के साथ वहां पहुंचता है और वानर यज्ञ विध्वंश कर देते हैं जिससे मेघनाद का यज्ञ खंडित हो जाता है और वही लक्ष्मण उसको ललकार देते है, वह जाने की कोशिश करता है किन्तु लखन लाल उसको जाने नहीं देते।

On hearing that, Ravana orders him to go for the yagya soon. The great Pitra devotee Meghnad performs the ritual of yagna, obeying the father’s command, and Vibhishana arrives there with Lakshmana and some monkey heroes and the monkey destroys the yagna which ruins the yagna of Meghnad and the same Lakshman challenges him. He tries to leave but Lakhan Lal does not let him go.

अब मेघनाद की मृत्यु की तीनों शर्तों को लखनलाल पूरी कर रहे थे, माता ने अपनी कृपा दृष्टि हटा ली क्योंकि यज्ञ खंडित हो चुका था, पत्नी से मिले बिना वह सीधे युद्ध करने लगा, और लक्ष्मण जी 12 वर्षों से उपवास पर थे, नारी से कोई सानिध्य नहीं हुआ था उनका, और रामजी की रक्षा हेतु 12 वर्षों से कभी एक पल के लिए भी सोए नहीं थे। अतः इस युद्ध में मेघनाद का वध हो गया और लक्ष्मण जी विजई हुए।

Now Lakhanlal was fulfilling all the three conditions of Meghnad’s death, the mother removed her grace as the yagna was broken, he went straight to war without meeting the wife, and Lakshman ji was on fast for 12 years, from the woman. There was no harm to him, and he had never slept for a single moment for 12 years to protect Ramji. So Meghnad was killed in this war and Lakshman ji emerged victorious.

त्रेता युग द्वापर से पहले क्यों आया?

मेघनाद के वध के उपरांत भी रामजी उपवास पर रहे और माता दुर्गा ने महान वरदानी रावण पर विजय दिलवाई। 

Even after the slaughter of Meghnad, Ramji remained on fast and Mata Durga conquered the great boon Ravana.

जो रावण हमेशा चैत्र के नवरात्रे में निर्जला व्रत करता था और माता का परम भक्त था उस रावण पर अश्विन के महीने में भगवान राम ने माता दुर्गा की उपासना उपवास करके विजय पाई थी तब से ही इस प्रथ्वी पर नवदुर्गा पूजा साल में दो बार मनाए जाते हैं। नौ दिन की उपवास के उपरांत दशमी के दिन रावण का वध हुआ था।

Ravana always used to observe Nirjala fast in Navratri of Chaitra and was an ardent devotee of Mata, Lord Rama had conquered Ravana by fasting the worship of Mother Durga in the month of Ashwin, since then Navadurga puja is celebrated on this earth twice a year. Huh. Ravana was killed on Dashami after a nine-day fast.

 इस तरह रामजी ने वैष्णव होते हुए शिव की उपासना करके शैव और वैष्णव को एक किया और बतलाया कि नाम और काम अलग होते हुए शिव और विष्णु एक ही है एक ही शक्ति है। माता का उपवास करके शक्ति के उपासक शाक्यों को भी वैष्णव और शैव से मिलाया, और तीनों शक्तियों को एक ही शक्ति बतलाकर मानवता का पाठ पढ़ाया।

In this way Ramji worshiped Shiva while being Vaishnav and united Shaiva and Vaishnav and told that Shiva and Vishnu are one and the same power, separating names and deeds. By fasting the mother, the Shakya worshipers also joined the Vaishnavas and Shaivas, and taught the lesson of humanity by revealing the three powers as one power.

तीन संप्रदायों के होने और तीनों को एक करने वाले मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम कहलाए। पूरे संसार में सभी ने उनको एक स्वर से साक्षात परम ब्रम्ह माना जिसमे भगवान शिव, माता दुर्गा, ब्रम्हा सहित सभी देवता दानव राक्षस पशु पक्षी नर किन्नर गंधर्व शामिल थे। 

Being of three sects and uniting all three is called Maryada Purushottam Lord Shri Ram. Everyone in the whole world considered him to be the ultimate Brahman in one voice, in which all the gods including Lord Shiva, Mother Durga, Brahma, demon, demon, animal bird, male eunuch Gandharva were included.

इस युग का नाम त्रेता युग भी इसी लिए कहा गया है क्योंकि भगवान राम ने तीन संप्रदायों को एक कर दिया था।

The name of this era is also called Treta Yug because Lord Rama united the three sects.

वैसे आप प्रैक्टिकल खुद सोचे कि अगर सतयुग प्रथम था तो दूसरा द्वापर होना चाहिए तीसरा त्रेता और चौथा कलियुग।

By the way, you should think practically that if the golden age was first, then it should be second Dwapar, third Treta and fourth Kali Yuga.

परंतु वास्तव में त्रेता दूसरे नंबर पर और द्वापर तीसरे नंबर पर कैसे आया, उसका कारण प्रभु श्रीराम ही थे।

But really how Treta came in second and Dwapara came in third, was the reason for Lord Shree Ram.

निष्कर्ष

अतः दुर्गा पूजा विजय दशमी का रिश्ता रामजी और रावण युद्ध से है और तभी से यह वर्ष में दो बार मनाया जाता है अस्तु। जय माता दी।

Hence Durga Puja Vijay Dashami is related to Ramji and Ravana war and since then it is celebrated twice a year! You will know more about your home than others. No proof required for what is visible truth!

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