सच्चा भाव
भगवान को जिस भाव से भजो उसी रूप में मिल जाते हैं इसके लिए उदाहरण हेतु एक सुंदर कहानी के माध्यम से समझाने की कोशिश करते हैं। एक अनोखी कथा भाव(imagination) के भूखे है भगवान। God is great, whenever you remember him they came to you as per your imagination. For better explaination, we present a story of baakey bihari or Thakurji .
सच्चा-भाव-बांके -बिहारी-स्टोरी-Bhav ke bhunkhe hain Bhagwan
एक लडकी थी जो कृष्ण जी की अनन्य भक्त थी, बचपन से ही कृष्ण भगवान का भजन करती थी, भक्ति करती थी, भक्ति करते-करते बड़ी हो गई, भगवान की कृपासे उसका विवाह भी श्रीधाम वृंदावन में किसी अच्छे घर में हो गया। विवाह होकर पहली बार वृंदावन गई, पर नई दुल्हन होने से कही जा न सकी, और मायके चली गई। फिर वो दिन भी आ गया जब उसका पति उसे लेने उसके मायके आया, अपने पति के साथ फिर वृंदावन पहुँच गई। पहुँचते पहुँचते उसे शाम हो गई, पति वृंदावन में यमुना किनारे रूककर कहने लगा – देखो! शाम का समय है में यमुना जी मे स्नान करके अभी आता हूँ, तुम इस पेड़ के नीचे बैठ जाओ और सामान की देखरेख करना मै थोड़े ही समय में आ जाऊँगा। यही सामने ही हूँ, कुछ लगे तो मुझे आवाज दे देना, इतना कहकर पति चला गया और वह लडकी बैठ गई। There was a girl who was an ardent devotee of Krishna ji, worshiped Lord Krishna from childhood, did devotion, grew up doing devotion, by the grace of God, he was also married to a good house in Shridham Vrindavan. Married to Vrindavan for the first time, but could not be said to be a new bride, and went to her maternal home. Then the day also came when her husband came to her maternal home to take her, reached Vrindavan again with her husband. As she reached, it was evening, her husband stopped on the banks of the Yamuna in Vrindavan and said – Look! It is evening, I take a bath in Yamuna ji right now, you sit under this tree and I will come in a short time to take care of the goods. This is what I am in front of, if you feel like giving me a voice, after saying this, the husband left and the girl sat down. एक हाथ लंबा घूँघट निकाल रखा है, क्योकि गाँव है, ससुराल है और वही बैठ गई, मन ही मन विचार करने लगी – कि देखो! ठाकुर जी की कितनी कृपा है उन्हें मैंने बचपन से भजा और उनकी कृपा से मेरा विवाह भी श्रीधाम वृंदावन में हो गया। मैं इतने वर्षों से ठाकुर जी को मानती हूँ परन्तु अब तक उनसे कोई रिश्ता नहीं जोड़ा? फिर सोचती है ठाकुर जी की उम्र क्या होगी ? लगभग १६ वर्ष के होंगे, मेरे पति २० वर्ष के हैं तो उनसे थोड़े से छोटे है, इसलिए मेरे पति के छोटे भाई की तरह हुए, और मेरे देवर की तरह, तो आज से ठाकुरजी(Thakurji) मेरे देवर हुए, अब तो ठाकुर जी(Thakurji) से नया सम्बन्ध जोड़कर बड़ी प्रसन्न हुई और मन ही मन ठाकुर जी से कहने लगी – “देखो ठाकुर जी ! आज से मै तुम्हारी भाभी और तुम मेरे देवर(devar) हो गए। इतना सोच ही रही थी तभी एक १०- १५ वर्ष का बालक आया और उस लडकी से बोला – भाभी-भाभी ! She sat with long ghughat because there is a village of in-laws, and she sat down, and started thinking about herself – that look! I have been blessed by Thakurji since childhood, and by his grace I got married in Shridham Vrindavan. I believe Thakurji for so many years, but have not added any relation to him till now? Then thinks how old will Thakurji be? My husband is 20 years old, and thakurji 16 years old, means younger than him, so my husband’s younger brother, and like my brother-in-law,(Devar in hindi) so Thakurji became my brother-in-law from now on, now Thakurji was very happy to add a new relationship and started saying to Thakurji – “Look Thakur ji! From today onwards, I became your sister-in-law (bhabhi) and you are my brother-in-law. The boy of 15 year came and said to that girl – sister-in-law! लडकी अचानक अपने भाव से बाहर आई और सोचने लगी वृंदावन में तो मै नई हूँ ये भाभी कहकर कौन बुला रहा है, नई थी इसलिए घूँघट उठकर नहीं देखा कि गाँव के किसी बड़े-बूढ़े ने देख लिया तो बड़ी बदनामी होगी। अब वह बालक बार-बार कहता पर वह उत्तर न देती बालक पास आया और बोला – भाभी! नेक अपना चेहरा तो देखाय दे, अब वह सोचने लगी अरे ये बालक तो बड़ी जिद कर रहा है, इसलिए कस केघूँघट पकड़कर बैठ गई कि कही घूँघट उठकर देखन ले, लेकिन उस बालक ने जबरदस्ती घूँघट उठकर चेहरा देखा और भाग गया। थोड़ी देर में उसका पति आ गया, उसने सारी बात अपने पति से कही। पति नेकहा – तुमने मुझे आवाज क्यों नहीं दी ? लड़की बोली – वह तो इतनेमें भाग ही गया था। पति बोला – चिंता मत करो, वृंदावन बहुत बड़ा थोड़े ही है, कभी किसी गली में खेलता मिल गया तो हड्डी पसली एक कर दूँगा फिर कभी ऐसा नहीं कर सकेगा। तुम्हे जहाँ भी दिखे, मुझे जरुर बताना। The girl suddenly came out of her sense and started thinking that I am new in Vrindavan, who is calling this sister-in-law, she was new, so the veil did not arise and saw that if any of the village elders saw it, it would be a great disgrace. Now that child used to say again and again but she did not answer, the child came near and said – Sister-in-law! show me your face, now he starts thinking that this child is insisting very hard, so sat down holding the veil tightly to see the veil, but the child forcefully saw the veil and saw the face and ran away. After a while her husband arrived, she told the whole thing to her husband. Husband said – Why didn’t you give me a voice? The girl said – He had just run into this. Husband said – Do not worry, Vrindavan is not very big, if I ever get to play in a street, I will make a bone rib and then I will never be able to do it. Wherever you see him, let me know.
फिर दोनों घर गए, कुछ दिन बाद उसकी सास ने अपने बेटे से कहा- बेटा! देख तेरा विवाह हो गया, बहू मायके से भी आ गई, पर तुम दोनों अभी तक बाँके बिहारी जी के दर्शन के लिए नहीं गए कल जाकर बहू को दर्शन कराकर लाना। अब अगले दिन दोनों पति पत्नी ठाकुर जी के दर्शन के लिए मंदिर जाते है मंदिर में बहुत भीड़ थी, लड़का कहने लगा – देखो! तुम स्त्रियों के साथ आगे जाकर दर्शन करो, में भी आता हूँ। अब वह आगे गई पर घूंघट नहीं उठाती उसे डर लगता कोई बड़ा बुढा देखेगा तो कहेगा नई बहू घूँघट के बिना घूम रही है। Then both went home, a few days later his mother-in-law told his son. See, you got married, daughter-in-law also came from his mother’s home, but both of you have not yet gone to see Bihariji. Now the next day both husband and wife go to darshan of baakey bihariji temple. There was a lot of crowd in the temple, the boy started saying – Look! Go ahead and see with the women, I also come. Now she went ahead but does not lift the veil, she is afraid that if she sees a big old woman, she will say that the new daughter-in-law is walking without veil.
बहुत देर हो गई पीछे से पति ने आकर कहा – अरी बाबली ! बिहारी जी सामने है, घूँघट काहे नाय खोले, घूँघट नाय खोलेगी तो दर्शन कैसे करेगी, अब उसने अपना घूँघट उठाया और जो बाँके बिहारी जी की ओर देखा तो बाँके बिहारी जी कि जगह वही बालक मुस्कुराता हुआ दिखा। उसे देख वह एकदम से चिल्लाने लगी – सुनिये जल्दी आओ!- जल्दी आओ ! पति पीछे से भागा- भागा आया बोला क्या हुआ? लड़की बोली – उस दिन जो मुझे भाभी-भाभी कहकर भागा था वह बालक मिल गया। पति ने कहा – कहाँ है ,अभी उसे देखता हूँ ? तो ठाकुर जी की ओर इशारा करके बोली- ये रहा, आपके सामने ही तो है। उसके पति ने जो देखा तो अवाक रह गया और वही मंदिर में ही अपनी पत्नी के चरणों में गिर पड़ा बोला तुम धन्य हो वास्तव में तुम्हारे ह्रदय में सच्चा भाव ठाकुर जी के प्रति है, मै इतने वर्षों से वृंदावन मै हूँ मुझे आज तक उनके दर्शन नहीं हुए और तेरा भाव इतना उच्च है कि बिहारी जी के तुझे दर्शन हुए । उम्मीद करते है आप लोगो को कथा पसंद आई होगी हम सबके कन्हैया तो ऐसे ही हैं आप बालक मानो तो बालक देवर मानो देवर पिता मानो तो पिता जिस भाव से याद करो आपके पास खड़े पाओगे। It was too late, the husband came back and said – Ari Babli! Bihariji is in front, open the veil, but how she ask without opening veil can’t get darshan, now she lifted his veil and when he looked at the stitched Bihariji, the same child appeared smiling in the place of Bihariji. Seeing her, she shouted right away – Listen, come fast! – Come soon! Husband ran from behind – Ran came and said what happened? The girl said – That day, the boy who had run away as a sister-in-law, found me. The husband said – Where is it, now I see him? Then, pointing to Thakurji, he said – Here it is, you are there. What her husband saw, he was speechless and he fell at the feet of his wife in the temple itself and said, Blessed are you really the true sentiment in your heart to Thakurji, I have been in Vrindavan for so many years, I have seen him till today. Did not get up and your sentiment is so high that Bihari ji appeared to you. Hopefully, you guys would have liked the story, we all are like this, if you believe as a child, then if you consider a child as a brother-in-law, you will be able to stand beside you in whatever way you remember your father. अस्तु प्रेम से बोलो बांके बिहारी लाल की जय। जय जय श्री राधे।