क्या आप को मालूम है कि बाली और सुग्रीव (SUGRIV) के माता पिता कौन थे? आज के अंक में रामायण के मुख्य पात्र बाली (bali) सुग्रीव (Sugriv) के जन्म का रहस्य जानते है !सुनकर आप हैरान हो जाएंगे।
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बाली (bali) और सुग्रीव (sugriv) के पिता तो सबने बताए परंतु माता के विषय में सब चुप क्यों?
दोस्तों
आप सभी किष्किंधा के राजा बाली (BALI) और उनके भाई सुग्रीव (SUGRIV) के बारे में जानते है। आप में से कई लोगो ने शायद यह भी सुना होगा कि महाराज बाली (BALI) के पिता देवराज इन्द्र थे और सुग्रीव (SUGRIV) के पिता सूर्यदेव थे क्योंकि इस बात का जिक्र श्रीरामचितमानस में भी हुआ है तथा सभी रामायण वह चाहे महर्षि बाल्मीकि ने लिखी हो या महर्षि अगस्त ने सबने बाली (BALI) को इन्द्र का पुत्र अंगद को इन्द्र का पोता-नाती बताया है। You all know about King Bali (BALI) of Kishkindha and his brother Sugriva (SUGRIV). Many of you may have also heard that Maharaja Bali (BALI )’s father was Devraj Indra and Sugriva’s father was Suryadev as this is also mentioned in Sri Ramachitmanas and all Ramayana, whether it was written by Maharishi Balmiki Be it or Maharishi August, everyone has called Bali (BALI), Indra’s son Angad, grandson of Indra.
बाली को शक्तियाँ कहाँ से मिली? वह इतना शक्तिशाली कैसे हुआ ? Where did Bali get powers? How did he become so powerful?
रामायण में यह भी बतलाया गया है कि बाली (BALI) खुद बहुत शक्तिशाली था! फिर भी भोलेनाथ और भगवान विष्णु दोनों का परम भक्त था! उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उसको वरदान दिया था! The Ramayana also states that Bali (BALI) himself was very powerful! Yet Bholenath and Lord Vishnu were the ultimate devotees of both! Pleased with his penance, Bholenath gave him a boon! वह सदैव अजेय रहेगा !भले ही उसके सामने कोई देवता, राक्षस, यक्ष, किन्नर, गंधर्व, मानव, दानव कोई भी हो, सामने वाले की आधी शक्ति बाली (BALI) के अंदर आ जाती थी ! He will always be invincible! Even if there is a god, demon, yaksha, eunuch, Gandharva, human, demon in front of him, half the power of the front would come inside Bali (BALI)! अतः वह युद्ध में कभी भी कहीं भी नहीं हारा।उस वरदान की वजह से ही भगवान राम ने उसका छुपकर वध किया यह सभी जानते है। Therefore, he never lost anywhere in the war. It is because of that boon that Lord Rama secretly killed him.
हनुमानजी स्वयं महाराज केसरी के बेटे थे! राजकुमार होते हुए भी सुग्रीव के अंगरक्षक क्यों बने ?Hanumanji himself was the son of Maharaj Kesari! Despite being a prince, why became Sugriva’s bodyguard?
इसके साथ इस बात का भी उल्लेख है कि सूर्यदेव अपने पुत्र सुग्रीव (SUGRIV) के लिए इतना चिंतित रहते थे! जब से दोनों भाईयो में शत्रुता हुई थी कि उनको रात दिन अपने पुत्र की जान की चिंता रहती थी । It also mentions that Suryadev was so concerned about his son Sugriva! Ever since there was enmity between the two brothers, they used to worry about their son’s life day and night. अतः जब महाबली हनुमान जी जिन्होंने सूर्य देव से शिक्षा ली थी! शिक्षा पूर्ण होने पर जब गुरु सूर्य देव से गुरु दक्षिणा के लिए पूछा तो सूर्य देव ने हनुमान जी से अपने पुत्र की रक्षा करने की गुरु दक्षिणा मांग ली ! Hence, when Mahabali Hanuman ji had taken education from Surya Dev! When the education was complete, when Hanumanji asked Surya Dev for Guru Dakshina(Fee), in respect of guru dakshina Hanumanji always protect sugriv from bali. परिणामतः हनुमान जी जो स्वयं महाराज केशरी के पुत्र होते हुए सुग्रीव (SUGRIV) के अंग रक्षक, सलाहकार मंत्री बनकर सदैव उनके साथ रहे! As a result Hanuman ji, being the son of Maharaja Keshari himself, always stayed with him by becoming the organ protector, advisory minister of SUGRIV! अतः: यह तो स्पष्ट है दोनों के पिता क्रमसः इन्द्र और सूर्य देव हैं। पर प्रश्न यह है कि उनकी माता कौन हैं! माता एक, फिर पिता अलग अलग कैसे हुए ? क्या उनकी माता के दो विवाह हुए ? इन सब प्रश्नो का उत्तर जानने के लिए बाली और सुग्रीव (SUGRIV) के जन्म रहस्य को जानना होगा अतः अब लौटते हैं इस अंक के पिछले अंक की स्टोरी पर जहाँ हमने आपको जामवंत जी के जन्म रहस्य के बारे में बतलाया था आइए मुख्य कहानी पर
बाली और सुग्रीव की माता कौन है उनकी पूरी कथा? Who is the mother of Bali and Sugriva, their story?
किष्किंधा के समीप में पंपा नामक सरोवर होता था! उसके समीप महान तपस्वी ऋषि और सप्त ऋषियों में से एक पुलस्ती का आश्रम था! उनको जगत कल्याण हेतु उस सरोवर का जल सिर्फ पीने के काम में लिया जाए ! There was a lake called Pampa near Kishkindha! Near him was the ashram of Pulasti, one of the great ascetic sages and Sapta sages! They should be used only for drinking water of that lake for world welfare! उसको प्रदूषित न किया जाए इसलिए यक्षो का पहरा लगा रखा था तथा उनके आश्रम में नारियों का प्रवेश वर्जित था । It should not be polluted, so the guard of the Yakshas was kept and the entry of women in their ashram was forbidden.
जामवंत अपनी असीमित शक्ति के कारण प्रथ्वी पर उद्दडतापूर्वक घूमते थे ! उछल कूद करके ऋषियों को मजाक में ही परेशान करते थे और सबसे ज्यादा मसखरी मजाक वह अपने भाई पुलस्त्य से ही करते थे! Jamwant wandered enthusiastically on earth due to his unlimited power! He used to annoy the rishis by joking and he used to make the most joking joke with his brother Pulastya! ऋषि अपने भाई के व्यवहार से बहुत दुखी थे। वह सरोवर का पानी जिसको ऋषि और अन्य लोग पीने के लिए प्रयोग करते थे उसको नहाकर उसमे गोते लगाकर उलीचकर गन्दा करके पीने लायक नही छोड़ते थे परन्तु भाई होने के कारण वह ऋषि कुछ नहीं कर पाते थे। The sage was deeply saddened by his brother’s behavior. The water of the lake, which the sage and other people used to drink, bathed it and dipped in it and made them dirty to drink, but due to being brothers, the sage could not do anything.
जामवंत को श्राप किसने और क्यों दिया? Jamvant ko shrap kisney or kyon diya?
ऋषि ने जल के देवता वरुण को याद किया और उपाय पूछा तो वरुण ने यक्षों और किन्नरों(neutral) का पहरा लगा दिया परन्तु जामवंत(Jamvant) के सामने कोई यक्ष किन्नर क्या देवता राक्षस भी ठहर नहीं सकता था! इसलिए उन्होंने सबको मार मार कर उनका कचूमर बना दिया। तभी एक किन्नर ने अपने शरीर की दुर्दशा देखकर यह श्राप दिया, कि किन्नर सिर्फ शांति और शुभ कार्यों के लिए नृत्य और संगीत के साथ लोगो को सुख देते है! उन पर किसी को हांथ उठाना पाप है ! मै आपको कुछ नहीं कर सकता !परन्तु (किन्नर ने श्राप दिया) “आज के बाद जो भी पुरुष इस सरोवर में स्नान करेगा वह स्त्री बन जाएगा।” तभी से यह परम्परा चली आ रही है कि कोई किन्नरों यहाँ तक नकली किन्नरों या हिजड़ो को भी हाथ नहीं उठाते और उनका श्राप न लगे इससे बचने की कोशिश करते है ! The sage remembered Varuna, the god of water, and asked for a solution, Varun guarded the Yakshas and eunuchs, but no goddess Kinnar could stop being a demon in front of Jamwant, so he killed everyone and made them their enemies. Just then a eunuch saw the plight of his body and cursed that eunuchs give happiness to people with dance and music just for peace and auspicious actions! It is a sin to take someone’s hand over them, I cannot do anything to you, but after this, every man who takes a bath in this lake will become a woman.
क्या हुआ जब जामवंत सरोवर मे कूदे ?What happened when Jamvant jumped into the lake?
शक्ति के घमंड में चूर जामवंत उस सरोवर में कूद पड़े परन्तु यह क्या जामवंत की जगह वह एक कमलनयनी, कोमल, कामिनी औरत बन चुके थे। जामवंत बहुत परेशान उनका पुरुषत्व जाने की वजह से, उनकी सारी शक्ति जाती रही वह अब सिर्फ एक कमजोर निरीह पर एक अतिसय सुंदर महिला बन कर रह गए थे। जामवंत से जामवंती बनी महिला विलाप और प्रार्थना करने लगी।
In the boast of power, Jamvant jumped into that lake but ! Now he had become a very beautiful, pretty, charming woman in place of Jamvant. Jamvant was very worried because of his Masculinity was going, all his power kept going, he was now left on a weak but a very beautiful woman. The lady who became Jamvanti from Jamvant started to moan(crying) and pray.
क्या हुआ जब स्त्री बने जामवंत को मिले इंद्र? What happened when (woman)Jamvant met Indra?
उसी समय दुनियां की सुंदर महिलाओं का दुश्मन देवराज इन्द्र ने जब इस सुंदर महिला को देखा तो उसके पास आकर प्रणय निवेदन करने लगा, उसने खुद को देवताओं का राजा बताया और उसको शाप मुक्त कर देगा ऐसा लालच देकर जामवंती की मजबूरी का फायदा उठाकर उसको बहकाकर बलात सहवास किया परिणामत: महान पराक्रमी बाली (BALI) का जन्म हुआ। ( बल +आली अर्थात बलात जबरदस्ती आया) ( ऋषि अगस्त्य के अनुसार बाली नाम उसकी तपस्या के बाद सामने वाले की शक्ति बल उसके अंदर आने के कारण शिवजी ने नामकरण किया था बल +आली अर्थात बाली ) At the same time, when Devraj Indra, the enemy of the beautiful women of the world, saw this beautiful woman, he came to her and started courting her, she described herself as the king of the gods and she would free her curse by tempting him to take advantage of the compulsion of Jamwanti. The forced cohabitation resulted in the birth of the great mighty Bali (BALI). (Force + Aali means force came)
क्या इन्द्र ने जामवन्त से जो वादा किया उसे पूरा किया ?Did Indra fulfill the promise made to Jamvant?
अब बाली (BALI) जन्म के बाद जामवंती ने पुनः देवराज से शापमुक्त करने को कहा परन्तु वह अट्टहास और उपहास करके जामवंती को छोड़ कर चला गया। दुखी जामवंती ने अपने बालक को गोद में उठाए अब अपने भाई की शरण में जाने का निश्चय किया। Now after the birth of Bali (BALI), Jamvanti again asked Devaraj to be cursed but he left Jamvanti after a lot of ridicule and ridicule. Unhappy Jamvanti took her child in her lap and now decided to go to her brother’s shelter. https://youtu.be/bm8jvu-YIfU यहां हम आपको यह भी याद दिला दे कि ऋषि पुलस्त्य संसार के बंधनों से मुक्त रहने के लिए विवाह न करने और नारी से दूर रहने के संकल्प लिया था इसलिए उनके आश्रम में दिन या रात में यदि कोई स्त्री प्रवेश करती है! तो वह क्रमशः सूर्य और चंद्र से गर्भवती हो जाए! ताकि कोई स्त्री उनके आश्रम के आस पास भी न आये ! इस बात का जिक्र पुराणों रामायण और महाभारत में भी मिलता है। Here we should also remind you that Rishi Pulastya had vowed not to marry and stay away from women to remain free from the shackles of the world, so if a woman enters his ashram day or night! So she gets pregnant with Surya and Chandra respectively! So that no woman comes even near his ashram! This mention is also found in the Puranas Ramayana and Mahabharata. नोट:सप्तऋषि पुलस्त्य के भाई जामवंत है! उनके (पुलस्त्य )पुत्र विश्रवा ऋषि जो रावण के पिता है! Note: Saptarishi Pulastya’s brother is Jamwant! His son Vishrava Rishi who is the father of Ravan.
ऋषि पुलस्त्य के विवाह की कथा (जो की आप आने वाले के अंक में पढ़ पाएंगे, )Which you will be able to read in the upcoming issue) में भी इस बात का जिक्र है कि उनका जिस कन्या के साथ विवाह हुआ! वह उन्हीं के श्राप के कारण निर्दोष कन्या गर्भवती हो गई थी! अतः ब्रह्माजी और ऋषि समाज के दबाव में उनको उस कन्या से विवाह करना पड़ा था !जिससे उनके पुत्र विश्रृष्वा का जन्म हुआ था।
The story of the marriage of sage Pulastya (which you will read in the coming issue) also mentions that the girl he married! The innocent girl became pregnant due to her curse! Therefore, under the pressure of Brahmaji and Rishi community, he had to marry the girl from whom his son Vishrishwa was born.
रावण और जामवंत रिश्तेदार थे कैसे ?रावण का जन्म स्थान आज कहाँ हैं ?How were Ravana and Jamvant relatives? Where is Ravana’s birthplace today?
विवाह के बाद उन्होंने उस आश्रम को त्याग कर आर्यावर्त के हस्तिनापुर राज्य के खांडवप्रस्थ में गंगा नदी की सहायक नदी हिंडन नदी के किनारे आश्रम बनाया जहां उनके पुत्र हुआ और उस पुत्र ने उसी आश्रम में रहकर तपस्या की। गृहस्थी चालू की वहीं उनके बच्चे हुए वह स्थान आज भी जिला गौतम बुध नगर के बिसरख नाम से गांव है।
After marriage, he abandoned the ashram and built an ashram on the banks of the Hindon River, a tributary of the Ganges in Khandavprastha (mentioned in Mahabharata, today’s Indraprastha which is in Delhi) of Hastinapur state of Aryavarta! Where his son Vishrava was born and that son lived in the same ashram and did penance. Started the household, where they had children, the place is still a village named Bisarkh in the district Gautam Budh Nagar.
ऋषि पुलस्त्य के शाप के कारण जैसे ही जामवंती ऋषि आश्रम में इन्द्र के खिलाफ शिकायत करने हेतु प्रवेश करती है! एक बार पुनः गर्भवती हो जाती है और चूंकि वह दिन में आयी थी! अतः सूर्यदेव के वीर्य से जो उसकी ग्रीव (गरदन) के रोम छिद्रों द्वारा गया अतः पुत्र का नाम ( सूर्य + ग्रीव) अर्थात सूर्य का ग्रीव सुग्रीव (SUGRIV) हुआ। As soon as Jamvanti enters Rishi Ashram to complain against Indra due to the curse of sage Pulastya! Pregnant once again and since she came in the day! Therefore, with the semen of Suryadev, which went through the pores of his cervix (neck), hence the son’s name (Surya + Griva) i.e. Surya’s Greve was Sugriva (SUGRIV). ऋषि पुलस्त्य ने जामवंत को अपने बच्चे पालन का कर्तव्य बताया और समय का इंतजार करने को कहा। Rishi Pulastya told Jamvant the duty of rearing his child and asked him to wait for time. फिर ऋषि के कहने पर वहीं ऋषमूक पर्वत पर ही दोनों बालको का पालन पोषण किया । Then at the behest of the sage, he raised both children on the Rishmuk mountain.
बाली और सुग्रीव बंदर कैसे बनाये ? bali or sugriv bander kaise banaye?
दोनों ही बालक बड़े उद्दंड थे! वह ऋषियों के आश्रमों में बालपन के खेलो में ऋषियों को परेशांन किया करते थे! एक बार वह ऋषि मतंग Rishi Matang के आश्रम में शरारत कर रहे थे! ऋषि पूजा में संलग्न थे! उनके कमण्डल को उठाकर इधर उधर पेड़ से पेड़ पर कूद रहे थे! ऋषि उनसे परेशांन होकर क्रोध में श्राप दे बैठे और बोले तुम दोनों जैसे वानरों जैसी हरकत कर रहे हो इसीलिए वानर बन जाओ! श्राप वश दोनों वानर बन गए! Both boys were very arrogant! He used to encourage the sages in the play of childhood in the ashrams of sages! Once, he was doing mischief in the ashram of sage Matang Rishi Matang! The sages engaged in worship! After picking up his mantle, he was jumping from tree to tree! The sage cursed him in anger and said that he is acting like a monkey like both of you and that is why you become a monkey! Both curse became monkeys!
अब दोनों जब अपनी माता के पास गए और माता ऋषि के पास उनको लेकर आयी और श्राप मुक्ति का उपाय पूछा तो ऋषि ने उनको अपने बड़े भाई ऋषि गौतम के पास भेजा!! ऋषि गौतम ने उनको भगवन शिव की आराधना करने की सलाह दिया! परिणामतः दोनों भाई और उनकी माता जामवंती श्राप मुक्त होने के लिए एक पैर पर खड़े होकर शिव जी के तपस्या करने लगे!भोले नाथ प्रकट हुए और जामवंत को श्राप मुक्ति के लिए नारायण की उपासना को बताया! Now when both of them went to their mother and brought them to the mother sage and asked for the remedy of curse, the sage sent them to his elder brother Rishi Gautama, sage Gautama advised them to worship Lord Shiva. And his mother Jamvanti, standing on one leg to get curse free, started doing penance to Shiva ji. Bhole Nath appeared and told Jamvant to worship Narayana for curse salvation!
जामवंत, बाली सुग्रीव ने शिवजी से वरदान में क्या माँगा ?Jamvant, Bali, Sugriv asked Shivji in what is a boon?
“सुग्रीव ने विष्णुजी की मित्रता मांगी “ सुग्रीव (SUGRIV) से वरदान मांगने को कहा तो उसने श्राप मुक्ति या नारायण भक्ति में से नारायण भक्ति चुना ! अतः शिवजी ने कहा की एक दिन स्वयं नारायण आप के पास आएंगे और आप के मित्र बनेगे ! Sugriva sought Vishnuji’s friendship When he asked Sugriva to ask for a boon, he chose Narayan Bhakti out of curse liberation or Narayana devotion! Therefore, Shivji said that one day Narayana himself will come to you and will become your friend! उसके बाद आप बहुत समय तक नारायण के सानिध्य में रहोगे और अंत में मुक्ति प्राप्त करोगे! After that you will stay in Narayana for a long time and in the end you will get liberation! “बाली ने असीमित बल और विष्णुजी के हाथो मरकर मोक्ष मिले माँगा” Bali sought unlimited salvation and salvation by killing Vishnu. बाली ने भगवान शिव से असीमित बल, सामने लड़ने वाले की आधी शक्ति बाली में आ जाएगी! यह वरदान और अंत में नारायण के हांथो मरने से सीधी मुक्ति मिलेगी! यह वरदान लिया! शिवजी ने कहा की पूछवाले वानर होते हुए आप मनचाहा रूप ले सकेंगे और मनुस्य की तरह हर काम कर सकोगे !परन्तु रहना वानर ही पड़ेगा, चूँकि नारायण नर रूप में होंगे और उनको वानरों की सहायता चाहियेगी और तुम लोग उनसे जभी मिल पाओगे! इस तरह बाली और सुग्रीव (SUGRIV) को वरदान मिले पर उनको वानर योनि से मुक्ति नहीं मिल पायी और उन्होंने किष्किंधा जो आज का कर्णाटक है ! को अपनी राजधानी बनाया और भक्ति पुर्बक धर्म पुर्बक राज्य करने लगे! Bali has unlimited force from Lord Shiva, half the power of the person fighting in front will come in Bali! This boon and finally Narayan’s death will get direct salvation! Took this blessing! Shivji said that being a monkey who asks you, you will be able to take whatever form you want and you will be able to do everything like a manusya! In this way Bali and Sugriva (SUGRIV) got boon but they could not get relief from monkey life and they Kishkindha which is the present day Karnataka! Made his capital and began to rule lawful and peaceful!
जामवंत को कैसे मिली श्राप से मुक्ति? How did Jamvant get rid of the curse?
उधर जामवंटी भी नारायण भक्ति में तपस्या करने लगे परन्तु बहुत दिनों की तपस्या के बाद भी कोई परिणाम नहीं आया तो दुखी होकर वटुक कुवां जो वही सन्निकट था आत्महत्या हेतु उसमे कूद गए परन्तु उसी समय नारायण प्रकट हो गए और उनको कुएं से निकल लिया और श्राप मुक्त किया परन्तु उस बटुक कुए में जो भी प्राणी कूदता था भालू बन जाता था अतः वह पुनः पुरुष तो बन गए परन्तु मनुस्य नहीं अपितु एक रीक्ष या भालू बन गए! नारायण ने उनको बताया की आप जितने शक्ति शाली थे उतनी शक्ति आपको पुनः मिल गयी परन्तु आप इसी रूप में रहेंगे और हमारे रामावतार में सहायक बनकर हमारी भक्ति प्राप्त करेंगे! चूंकि आप चिरंजीवी हैं अतः आप की मृत्यु नहीं हो सकती आप हमारे सभी दस के दस अवतार देख सकेंगे और हमारा सानिध्य प्राप्त कर सकेंगे! On The Other Hand, Jamwanti Also Started Doing Penance In Narayana Bhakti, But After Many Days Of Austerity, No Result Came, So Sadly, Vatuk Kuvan Who Was The Same Adjacent Jumped Into Suicide But At That Time Narayana Appeared And Got Him Out Of The Well And Cursed. Liberated, But Every Creature That Jumped In That Butt Became A Bear!
इस तरह जामवंत जी का पुनरोद्धार हुआ और नारी से नर बन गए, तदुपरान्त अपने छोटे पुत्र सुग्रीव (SUGRIV) से अतिसय प्रेम के कारण उनके साथ ही रहने लगे! समुद्र मंथन के समय बाली और जामवंत ने ब्रम्हा जी के कहने पर भाग लिया था! Therefore, He Again Became A Man, But Not A Man, But A Raksha Or Bear! Narayan Told Them That You Had As Much Power As You! You Got That Much Power Again! But You Will Remain In This Form And Get Our Devotion By Becoming An Assistant In Our Ramavatar!
तो यह है प्रामाणिक और सार रहस्य जामवंत ,बाली और सुग्रीव (SUGRIV) के जन्म का, उम्मीद करते हैं की आप लोग इस जानकारी से अवस्य संतुष्ट होंगे आपके कमेंट और आलोचनाओं का स्वागत है!
निष्कर्ष
इस तरह से जामवंत जी पुनर्जीवित हो गए और महिला से पुरुष में बदल गए, और बाद में अपने छोटे बेटे सुग्रीव (सुग्रीव) के साथ अपने चरम प्रेम के कारण उनके साथ रहना शुरू कर दिया! समुद्र मंथन के दौरान, ब्रह्मा जी के कहने पर बाली और जामवंत ने भाग लिया था।
तो यह जामवंत, बाली और सुग्रीव के जन्म का प्रामाणिक और सार रहस्य है, आशा है कि आप लोग इस जानकारी, आपकी टिप्पणियों और आलोचनाओं से संतुष्ट होंगे।
Gzb
Jai shree Ram Jai shree Ram
Bahut sundar gayan parrpt hua aap ki kripa se