आज के इस अंक में हम राम जी से जुड़े अनेको प्रश्नो के उत्तर जानेगे ! जानते हैं वे प्रश्न क्या है
1. क्या राम नाम से किसी को वश में किया जा सकता है?
2.क्या राम नाम से तन और मन दोनों पवित्र हो जाता है?
3. क्या राम नाम से भौतिक सुख प्राप्त होता है?
4.भगवान राम तो अंतर्यामी हैं तो क्या हमे उनसे अपना दुख कहना उचित है?
5.क्या राम नाम से हमे मुक्ति मिलता है?
6.क्या राम नाम से सभी इच्छा पूर्ण होता है?
7.क्या राम नाम अपवित्र अवस्था में जाप किया जा सकता है?
और अंत में
8. हनुमान चालीसा पढ़ने का क्या नियम है?
Table of Contents
1. क्या राम नाम से किसी को वश में किया जा सकता है?
आपके प्रश्न अति उत्तम है लेकिन आपने एक साथ प्रश्नों को झड़ी लगा दी है अतः सबसे पहले आपको राम नाम है क्या यह समझने की जरूरत है फिर राम नाम की महानता और महिमा जानने की जरूरत है। वैसे इस विषय में मेरे चैनल पर आपको कई वीडियो इस विषय से संबंधित मिलेंगे। जिनके लिंक इस वीडियो में दिए जा रहे हैं आप वहां जाकर वह वीडियो अवश्य देखिएगा।
जिनमे से एक ॐ या राम राम में से किस मंत्र का जाप करें का उत्तर दिया गया है।
वही दूसरे में श्री राम जै राम जय जय राम मंत्र की उत्त्पति उसके बारे में जानकारी दी गई है,
तीसरे में राम रामेति रामे रमे मनोरमे के बारे में बताया गया है, क्यों शिवजी अपने शरीर पर चिता की भस्म लगाते हैं इसका रहस्य बताया गया है। शिवजी क्यों शमशान भूमि में जाते हैं वहां क्यों रहते हैं इसका कारण भी बताया गया है।
इस विषय को समझने के लिए और आपकी सुविधा के लिए इन वीडियो को नीचे !दिया जा रहा ! एक बार अवश्य देखे और आनंद ले !
राम नाम से ही भगवत स्वरूप ब्रह्मा विष्णु महेश हुए, राम नाम से ही ब्रह्म स्वरूप महाविष्णु, महाब्रह्मा और सदाशिव की उत्पति हुई राम से ही समस्त दिव्य लोको ब्रह्मांडो की उत्पत्ति होती है क्योंकि राम नाम स्वयं परमब्रह्म परमात्मा का नाम है।
राम और ॐ के जाप के क्या क्या नियम है Ram or om ke kya kya niyam hai
ॐ भी परमब्रह्म परमात्मा का नाम है लेकिन शास्त्रों के अनुसार राम शब्द से ही ॐ की उत्पत्ति हुई है अतः राम नाम तो ॐ से भी बड़ा नाम है शास्त्रों में बताया गया है कि राम नाम अर्थात प्रणव अर्थात ॐ का भी हेतु है कारक है । सभी श्लोकों के आदि में ॐ शब्द लगाके उस श्लोक/ नाम को परमब्रह्म परमात्मा से जोड़ कर मंत्र बनता है। सभी पूजनीय देवताओं के मंत्र या श्लोक के पहले ॐ लगाकर ही मंत्र बनता है उसको सिद्ध किया जा सकता है। प्राणवाक्षर अर्थात ॐ त्रिदेव एकीकृत रूप में विद्यमान हैं ॐ कहने मात्र से आप आदि गणेश, महाविष्णु, सदाशिव, आदि शक्ति (दुर्गा), और आदित्य(सूर्य) पांचों की पूजा ध्यान हो जाता है। चूंकि सभी मंत्रों में ॐ शब्द लगता है अतः नियम निषेध लगते हैं अर्थात आपको ॐ नाम परमात्मा का जाप करने हेतु मंत्र के नियम उपनियम मानने ही होते हैं अनिवार्य हैं। किंतु राम नाम तो वह नाम है जो प्रणवाक्षर ॐ का भी हेतु है इसलिए राम नाम जप पर कोई नियम उपनियम नही लगते। राम नाम को पवित्र अपवित्र किसी भी अवस्था में जाप किया जा सकता है इसका जाप प्रत्येक स्थिति में लाभ प्रद होता है यानी कि हर स्थिति में मंगल हो मंगल करता है।
गोस्वामी जी कहते हैं
भाव कुभाव अलख आलसहू।
नाम जपत मंगल दस दशहू।।
अर्थात राम नाम को कोई भाव पूर्वक प्रेम पूर्वक या कुभाव या गलत भावना के साथ भी या आलस्य में रहते हुए अर्थात किसी भी अवस्था में कही भी अर्थात 10 दिशाओ में कही भी जाप करो आपका मंगल ही मंगल होगा क्योंकि रामजी का नाम ही सत्य है सनातन है सर्वोत्तम है।
अगर राम नाम महामंत्र है तो इसके पहले ओम क्यों नहीं लगया जाता agar ram naam mahamatra hai to issey pahle om kyon nahi lagaya jata
Ram नाम अपने आप में एक महा मंत्र है अतः इसके पहले ॐ शब्द लगाने की जरूरत नही होती है ठीक वैसे जैसे अगर आप का नाम मोहन है और कहने का नाम गुड्डू है तो अगर आपको कोई बुलाता है तो या तो मोहन नाम से पुकारेगा या फिर गुड्डू नाम से पुकारेगा लेकिन मोहन गुड्डू नाम से कोई नहीं बुलाएगा। ठीक यही भाव यहां समझने की जरूरत है कि ॐ परमब्रह्म का नाम है और राम नाम भी परम ब्रह्म परमात्मा का ही नाम है अतः कोई विद्वान कभी भी ॐ राम नही कहेगा। ऐसा कोई मंत्र नही बना है । अन्य किसी देवता शिव, ब्रह्मा रुद्र दुर्गा, गणेश, सूर्य या 9 ग्रह, 8 वसु, त्रिदेवी, आदित्यो इत्यादि किसी का भी जाप किया जाय उसके श्लोक या नाम के पहले ॐ लगा होता है लेकिन राम राम कहने में ॐ का प्रयोग नहीं होता। ॐ सिर्फ शुभ कर्मों में ही प्रयोग होता है जाप होता है लेकिन राम ही एक मात्र ऐसा नाम है जिसका जाप मृत शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने पर भी प्रयोग होता है यह सबसे बड़ा उदाहरण है कि राम नाम ही सिर्फ मुक्ति दाता नाम है।
जनम जनम मुनि जतन कराही।
अंत राम मुख आवत नाही।।
मरने के समय अगर किसी भी कारण से जाने अनजाने अगर व्यक्ति के मुख से निकल जाए तो व्यक्ति निश्चित मोक्ष को प्राप्त हो जाता है।
आध्यात्म के अनुसार राम अनहद है और इसकी पांच कौन सी प्रकृति हैं Ram anhad hai or iski panch koun si prakarti hai
आध्यात्म कहता है कि यह सार तत्व सत्य नाम राम ही अनहद अर्थात स्वयं भू नाद है। इसकी 5 प्रकृति हैं
ओंकार, सोहम , शक्ति, निरंजन और ररंकार। इन समस्त ध्वनियों को जड़ राम नाम है जो आदि नाद है। और राम नाम सत्य है ऐसा बोलने का नियम अंतिम समय में बताया गया है।
बड़े बड़े आत्मज्ञानी संत यही राम नाम जप कर ध्यान लगाते हैं। यह राम नाम ही संसार रूपी पेड़ की जड़ भी है तना भी पत्ते भी है। राम नाम की महिमा का वर्णन स्वयं परमात्मा भी नही कर सकते । क्योंकि सब उसी के रूप हैं जैसे उदाहरण के लिए गले का हार कान के कुंडल, नाक की नथ, हांथ की चूड़ी, पैर की पायल, हांथ की अंगूठी आदि सभी सोने से ही बनी होती है भले ही उनकी डिजाइन पहनने का स्थान एक ही हो और यही अंत में जाकर पुनः सोना ही बनते हैं ठीक वैसे ही सारी दुनिया ब्रह्माण्ड सब कुछ राम नाम से उत्पन्न होता है और अंत में उसी में शामिल हो जाता है एकीकृत हो जाता है। लेकिन ब्रह्म में शामिल होने के लिए अपने कर्म के अनुसार
संपूर्ण यत्न करनी पड़ेगी।
संपूर्ण वैदिक पौराणिक संहिता शास्त्र राम नाम को ही परम तत्व कहा गया है। शिव पुराण में भगवान शिव ने स्वयं कहा है कि विष्णु के 1000 हजार नामो को जपने से फल है वह राम राम एक बार कहने से फल मिल जाता है।
विष्णु पुराण में राम नाम को ईश्वरों का ईश्वर कहा जाता है। राम नाम ही सत्य है बाकी का सारा संसार मिथ्या है। जब आप की मृत्यु होती है तो सिर्फ मृत्यु के समय राम नाम सत्य है क्यों नही कहते ॐ नाम सत्य है, विष्णु नाम सत्य है गणेश नाम सत्य है शिव नाम सत्य है शंकर या ब्रह्मा या दुर्गा नाम सत्य है क्यों नही बोला जाता क्यों? क्योंकि वह सब परमात्मा के अंश हैं और राम नाम ही एक मात्र सत्य है जो शुरू से अंत तक हमेशा समभाव है यह नाम ही स्वयं परमब्रह्म है।
जाने कैसे विष्णु, आदि गणेश, आदि शिव (सदाशिव), आदिशक्ति (दुर्गा), आदि सूर्य (आदित्य) राम नाम का बिस्तार है- jaane kaise vishnu, adi ganesh,adi shiv, adi shakti, adi surya ka uday ram naam se hua
परमब्रह्म ने ही अपना विस्तार करके खुद को 5 भाग में विभक्त किया जो आदि विष्णु, आदि गणेश, आदि शिव (सदाशिव), आदिशक्ति (दुर्गा), आदि सूर्य (आदित्य) नाम विस्तार किया अतः इनमे से किसी की भी नियम पूर्वक उपासना कीजिए तो कार्य सुफल हो जाते हैं और मोक्ष भी मिल सकती है।
राम नाम हम सभी में रमा हुआ हैं अर्थात व्याप्त है राम ही ब्रह्म है परमब्रह्म है राम ही परमात्मा हैं ईश्वर है और राम ही परमात्मा का एक अंशी आत्मा भी है। आत्मा परमात्मा सूर्य को किरण और सूर्य के समान है।
क्या राम नाम सिद्ध करके किसी को वश में किया जा सकता है kya ram naam se kisi ko vash me kar sakte hai
राम नाम से किसी को वश में करना बड़ी छोटी और बचकानी बात है राम नाम से तो जगदाधार परमब्रह्म वश में हो जाते हैं तो उनके छोटे छोटे अंशो देवी देवता यक्ष किन्नर गनर्दभ, मनुष्य जीव जंतु सभी वश में हो जाते हैं।
Ram नाम जाप से आप अंदर और बाहर दोनो से पवित्र हो जाते हैं क्योंकि राम नाम ही एक मात्र सत्य है बाकी सारा संसार झूठ की दुकान है।
राम नाम से तन और मन दोनों पवित्र होते हैं अर्थात जब आप सांसारिक आंखे बंद करके राम राम का जाप करते हैं और सांसारिक मोह माया को थोड़ी देर के लिए ही सही त्याग देते हो या भूल जाते हो तो फिर बाहरी कष्ट का आभास हो ही नही सकता, जब आप राम नाम लव लगाकर अंतर चक्षु खोल लेते हो तो फिर आप पूरी तरह से परमानंद प्राप्त करते हो।
इसका उदाहरण मेरा स्वयं का अनुभव है जो आप से शेयर कर रहा हूं। यह बात मेरे टीन age की है जब मैं 7th में पढ़ता था, मैं बचपन में बड़ा शरारती था मेरे हांथ पांव एक जगह रुकते ही नही थे कुछ न कुछ गडबड करता ही था, एक बार मैं अन्य बच्चो के साथ पेड़ पर चढ़कर एक खेल खेल रहा था जिसमे एक चोर बनता है उसको एक डंडी दूर फेंकी जाती है उस बीच में सभी बच्चे पेड़ पर चढ़ जाते हैं, वह बच्चा डंडी उठाकर लायेगा और पेड़ के नीचे बने चक्र में रखेगा फिर पेड़ के किसी बच्चे को छू कर फिर उस डंडी को चूमेगा तो जिसको छुवा जाता है वह चोर बन जाएगा लेकिन अगर चोर बना बच्चा किसी बच्चे को छूता है लेकिन इतने में कोई दूसरा बच्चा नीचे पहुंचकर उस डंडी को पहले चूम लेता है तो चोर फिर से चोर बना रहेगा। इसी को खेलते समय मैं पेड़ से नीचे कूदा और उस डंडी को लपकने दौड़ा इतने में दूसरे बच्चे ने भी नीचे जंप लगा दिया जिससे डंडे से मेरे हांथ का अंगूठा फट गया जिसको मैंने खास भाव नही दिया कोई दवा नहीं किया जिससे थोड़े दिन में अंगूठा पक गया उसमे भयंकर दर्द होने लगा रात का समय गांव में कोई डाक्टर नही काफी दर्द से तड़प रहा था। उस समय मेरे बाबा ने कहा रात भर राम राम करके निकालो सुबह अस्पताल चलेंगे। दर्द से बुरा हाल था लेकिन मेरे दादाजी की आज्ञा मेरे लिए पत्थर की लकीर थी। अतः मैंने रात में बैठकर राम राम करना शुरू किया मेरे दादाजी भी बैठे आंख बंद करके राम राम कर रहे थे मैंने भी उनकी नकल किया। 5 मिनट में ही आंखे बंद और अनवरत राम राम के जाप से मुझे यह याद ही नहीं रहा कि मैं कहां हूं ट्यूबवेल चल रहा था रात को पुली पट्टे की आवाज भी मुझे सुनाई पड़नी बंद हो गई और एकाग्र होकर राम राम करने से न तो मुझे दर्द महसूस हो रहा था और कुछ। मुझे पता ही नही चला कि बैठे बैठे कब नींद आ गई बाबा ने मुझे कब लिटाया।
यह सब थी एकाग्रता और राम नाम जाप की महिमा !
क्या कलयुग में भी राम नाम उतना ही प्रभावशाली है जितना पहले के युगो में था kya kalyug me bhi ram naam utna hi prabhavshaali hai jitna pahle yugo me tha
राम नाम की महिमा क्या है इसका उदाहरण सतयुग त्रेता द्वापर युगों को तो छोड़िए ताजा उदाहरण आज के पांच सौ साल पहले बाबा तुलसीदास का ही ले लीजिए। उनके जीवन की एक घटना जिसमे उनको परमेश्वर श्रीराम से लव लगने की प्रेम करने की है जो सुनकर मानव मात्र प्रेरणा ले सकता है।
आज महान ग्रंथ श्रीरामचरित मानस की रचना करने वाले संत तुलसीदास जी के बारे में वैसे तो सबको जानकारी होगी लेकिन सारांस में आप को जानकारी दे रहे हैं एक आत्माराम दुबे नामक मध्यमवर्गीय परिवार में सरजूपारी ब्राह्मण थे उनके घर पर अपनी माता के गर्भ में 9 महीने की जगह 12 1/2 महीने रहने वाले एक बालक का जन्म हुआ,सभी बालक जन्म लेते ही रोते हैं यह आम बात है लेकिन इस बालक ने जन्म लेते ही जय सियाराम बोलकर चुप हो गया। बालक के मुंह 8 ऊपर और 8 नीचे 16 दांत थे ऐसे हष्ट पुष्ट बालक को जन्म देकर उसके मुख से श्री हरि (सियाराम) का नाम सुनकर माता हुलसी का देहांत हो गया, पंडितो ने जब बालक की कुंडली देखी तो बोले यह ज्येष्ठा के मूल नक्षत्र में पैदा हुआ है इसकी मां जन्म देने के साथ और पिता कुछ काल बाद मृत्यु पा जायेगे। अतः हे आत्म राम अगर तुम जिंदा रहना चाहते हो तो इस बालक को मार दो, दूसरे ने बताया त्याग देना भी मार देने के बराबर होता है। अतः आत्माराम दुबे ने एक दासी (घर की विश्वासपात्र नौकर) को बालक को ले जाके कही फेंकने की आज्ञा दी। स्त्री को ममता की मूरत यूं ही नहीं कहा जाता, उस दासी ने बालक को फेंकने की जगह अपने घर रख लिया, उसका नाम रामबोला रखा और चुपचाप पालन पोषण करने लगी। 5 साल की उम्र में बालक था उस समय पालने वाली माता का भी स्वर्गवास हो गया, अब रामबोला भूंखे प्यासे किसी तरह दूसरों के रहम कर्म पर जीने लगे कभी भूखे सो जाते कभी कोई उनसे कुछ कार्य लेता तो खाना दे देता कभी कभी लोग उनसे काम भी कराते थे और कुछ देते भी नही थे। उनका जीवन अभाव ग्रस्त बड़ा कष्टप्रद था।
किशोर अवस्था में उनके पिता को पता चला कि उनकी संतान जिंदा है और इस तरह जीवन यापन करती है तो उन्होंने बालक को घर बुला लिया, अभी कुछ दिन भी सुख की सांस न ले पाए कि उनके पिता का देहांत हो गया। अब फिर से अनाथ हो गए। कुछ दिन बाद उनका रत्ना नामक एक अति सुंदर ब्राह्मण कन्या से विवाह हो गया।
रामबोला एक अति जिद्दी व्यक्ति थे जो करते थे पूरी सिद्दत से करते थे तो प्रेम भी वैसे ही किया, पत्नी से अत्यंत प्रेम करने लगे। रत्ना एक पढ़ी लिखी विदुषी महिला थी वह भी अपने पति से अत्यंत प्रेम करती थी।
एक बार रत्ना अपने मायके गई रामबोला खेतो पर थे, जब आए तो पता चला कि रत्ना मायके गई है रात का समय, प्रेम पुजारी रात में ही चल पड़े अपनी प्रेयसी पत्नी के पास। रास्ते में एक नदी पड़ती थी बिना नाव के कैसे पार करें तो उन्होंने देखा एक लकड़ियों की नाव है जिसपर कोई कपड़े में बंधा सो रहा है, उन्होंने उसको पकड़ लिया और उसकी नाव बनाकर नदी पार कर ली और फिर उसको नदी में बहा दिया। उनको यह आभास नही हुआ कि उन्होंने एक लाश के साथ उसकी सहायता से नदी पार की है। आदि रात को जिस गांव से निकलते कुत्ते उनके पीछे पड़ जाते । एक जगह काफी कुत्तों ने उनको घेर लिए और उनकी धोती कपड़े सब फाड़ डाले उनके शरीर पर कपड़े नही रह गए, कुत्तों के काटने से उनके बहुत सारे घाव थे लेकिन अंत में वह ससुराल पहुंच ही गए। अब शरीर पर कोई कपड़ा नहीं अगर दरवाजे से जायेगे तो ससुर जी पूछेंगे क्या बताएं लेकिन पत्नी से मिले बिना रह नहीं सकते अतः वह घर के पीछे खड़े थे। उन्होंने देखा कि एक रस्सी सी लटक रही है उसको पकड़ के छत पर चढ़ गए, वहां पर रत्ना अपनी बहन के साथ सो रही थी और बहन से पति के अतिसय प्रेम की तारीफ किए जा रही थी,वही अर्ध नग्न अवस्था में रामबोला खड़े थे उनको देखकर दोनो बहने चीख पड़ी। जब रामबोला की आवाज पहचानी, उनकी दुर्दशा देखकर रत्ना ने पूछा तुम छत पर कैसे आए वह बोले एक रस्सी लटक रही थी उसको पकड़ के आ गए, तो बोले कहां? जब रामबोला उनको ले जाकर दिखाया तो वह एक भीषण विषैला नाग लटक रहा था। रत्ना को उनके प्रेम पर क्रोध आया कि ऐसा भी क्या प्रेम है। उन्होंने कहा कि अगर तुमको मेरे हांड मांस के शरीर से जितना अनुराग है उतना कही राम जी होता तो जीवन संवर जाता। अरे तुमने मेरे इस नष्ट हो जाने वाले शरीर से प्रीत करके आज खुद को कुत्तों से कटवा लिया, एक लाश की नाव बनाकर नदी पार की, एक सर्प को रस्सी समझकर उसे पकड़ कर ऊपर आ गए, इसका दसांस भी राम जी प्रेम करते तो जीवन सफल हो जाता। वैसे नाम रामबोला है लेकिन कभी राम का नाम भी ले लिया करो।
ज्ञान घटे नर मूढ़ की संगति
बुद्धि घटे चित विषय भरमाए।
तेज घटे पर नारी की संगति
आयु घटे बहु भोजन खाए।
प्रेम घटे नित ही कुछ मांगत
मान घटे नित पर घर जाए।
रत्ना कहे सुन पति मन मूरख
पाप घटे हरि के गुण गाए।।
पत्नी के कटु वचन सुनकर रामबोला के पुण्य उदय हो गए और उन्होंने अपनी पत्नी, माया, मोह, सब त्याग दिया और चल पड़े श्रीराम जी की शरण में और फिर श्री राम को ढूढने लगे और अपने श्रीराम को पाने की जिद में प्रेत,प्रेत के द्वारा हनुमान जी, फिर हनुमान जी के द्वारा श्रीराम जी के दर्शन भी प्राप्त किए। और एक से एक ग्रंथ की रचना कर डाली, राम बोला से संत तुलसीदास बन गए।
अगर भगवान राम सब जानते है बिना मांगे इक्क्षा क्यों पूरी नहीं करते
भगवान राम अंतर्यामी है लेकिन फिर भी आप यह समझे मां जानती है कि पुत्र भूंखा होगा बहुत देर हो गई उसको दूध पिलाना चाहिए। लेकिन वह घर के अन्य कामों में व्यस्त रहती है और सोचती है कि बच्चा भूँखा होगा तो रोएगा तब फीडिंग करा देगी, न रोए तब तक काम करती रहती है। इसलिए अगर आप को भूंख लगी है तो प्रभु राम से बताओगे तो जल्दी सुनवाई हो सकती है। प्रभु अपनी मर्जी से भी देते हैं तो आपको बताते नही सुदामा की तरह उनके घर महल बना दिए उनके दास दासी सब कुछ देकर भी हांथ में कुछ नही दिया था उनके घर चुपके से दे आए थे। अब यह भक्त पर है कि सुदामा की तरह न मांगकर अपने स्वाभिमान की रक्षा करे और बिना मांगे सब प्राप्त हो जाए या फिर मांगकर अपने तात्कालिक दुख का निवारण कर ले।
मैंने अपने कई वीडियो में बताया है कि राम नाम भगवान का वह नाम है जिसको लेकर आप दुनिया के किसी भी भौतिक आध्यात्मिक मोक्ष सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं। सभी प्रकार की इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं।
यह भी बता चुके हैं कि राम नाम मंत्र बिना गुरु किए भी जप सकते हैं किसी भी पवित्र अपवित्र अवस्था में जाप कर सकते हैं।
हनुमान चालीसा के पाठ के नियम
हनुमान चालीसा के पाठ के नियम उप नियम कुछ नही है आप कैसे भी कभी भी हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं। सिर्फ 2 स्थिति में छोड़कर।
सुबह सुबह नही । क्योंकि हनुमान जी स्वयं कहते हैं
प्रात लेइ जो नाम हमारा।
ता दिन तेहि नहि मिले आहारा।
उसको उस दिन व्रत रखना पड़ जायेगा जिस दिन सुबह उठते ही हनुमान जी को जगा दोगे।
और एक सौच और सहवास करते समय हनुमान चालीसा नही पढ़नी है।
इसके अलावा पवित्र अपवित्र नहाए बिना नहाए कभी भी हनुमान चालीसा पाठ कीजिए हनुमान जी आपके सहायक बन जायेगे। उम्मीद करते हैं कि आपके सभी प्रश्नों का उत्तर मिल गया होगा अस्तु। जय सियाराम।