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ब्रह्माणी, रूद्राणी मैया तुम कमला रानी आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी का क्या मतलब है।

Adarsh Dharm
शिवानंद स्वामी द्वारा रचित प्रकाशित आरती संग्रह की दुर्गा आरती की एक कड़ी है। आपको इस में वर्णित ब्रह्माणी और रूद्राणी शब्दों को समझने में कुछ परेशानी हो सकती है क्योंकि ब्रह्मा और रुद्र तो देवता हैं फिर उनको देवी कहकर क्यों संबोधित किया गया है। वही कमला रानी अर्थात माता लक्ष्मी का नाम है और फिर शायद  आगम निगम का अर्थ वेद और पुराणों में जिसको बार बार कहा गया है ! और सबसे ज्यादा कंफ्यूज दुबारा शिव की पटरानी कहने पर हो रहा होगा। एक ही माता की बात हो रही है या अनेको की यही आज हम इस पोस्ट में जानेंगे !
 
हम आपको इस विषय में ज्यादा विस्तार मे न ले जाते हुए सिर्फ यह समझाने की कोशिश करते हैं कि अखिल ब्रह्मांड के कण कण में समाए हुए परमब्रह्म परमात्मा और उनकी शक्ति स्वरूपा महामाया हैं। वैसे यह दोनो निराकार हैं लेकिन संसार के प्राणियों को सही रास्ता दिखाने के लिए संसार चक्र जीवन मरण चक्र चलाने के लिए एक ही शरीर महाविष्णु नारायण में वास करते हैं।

परमब्रह्म परमात्मा और उनकी शक्ति स्वरूपा महामाया निराकार है, विष्णु और महाविष्णु में अंतर कैसे करे

परमब्रह्म परमात्मा और उनकी शक्ति स्वरूपा महामाया हैं। वैसे यह दोनो निराकार हैं लेकिन संसार के प्राणियों को सही रास्ता दिखाने के लिए संसार चक्र जीवन मरण चक्र चलाने के लिए दोनो एक ही शरीर महाविष्णु नारायण में वास करते हैं। अत्यधिक सारांश करते करते विद्वानों ने महाविष्णु नारायण को ही विष्णु को संज्ञा दे दी है। भगवान विष्णु और महाविष्णु एक ही रंग रूप के हैं लेकिन दोनो में अंतर सिर्फ यह है कि विष्णु नारायण जी सिर्फ एक ब्रह्मांड के पालनहार हैं और लक्ष्मी पति बैकुंठ धाम अर्थात विष्णु लोक में निवास करते हैं उनके शरीर में रहने वाली शक्ति स्वरूपा भगवती जलोदरी हैं वहीं महाविष्णु नारायण ऐसे असंख्य ब्राह्मण्डो और असंख्य ब्रह्मा विष्णु महेश के स्वामी है जिनके अंदर ही असंख्य ब्रह्मांड बसते हैं उनके अंदर बसने वाली महाशक्ति महामाया हैं। इन्ही दोनो से संपूर्ण सृष्टि की रचना होती है। संपूर्ण सृष्टि अर्थात प्रकृति इन्ही की शक्ति से चलती है।
 
Mahavishnu
mahamaya
इस विषय को कुछ ऐसे समझो कि एक इंजन को चलने के लिए ईंधन fuel चाहिए और और fuel के बाद चलाने के लिए हैंडिल लगाने वाला मनुष्य और फिर ईंधन से बनने वाली ऊर्जा करंट जिससे इंजन चलता है। वैसे ही सम्पूर्ण विश्व परमब्रह्म परमात्मा महाविष्णु हैं लेकिन इसको चलाने के लिए ऊर्जा रूपी करंट महामाया भगवती हैं। स्वयं द्वारा किए जाने वाले कर्म ही ईंधन fuel होते हैं।
 
इन महामाया भगवती के द्वारा ही सभी इंजनों की करंट बनती है अर्थात शक्ति है और यही शक्ति सभी स्त्री या पुरुष के अंदर होती है इसलिए जब यह माता अपनी शक्तियां किसी से वापस ले लेती हैं तो वह इंजन वही रुक जाता है सभी आत्माएं सिर्फ इन्हीं महामाया द्वारा संचालित होती हैं।
 

आत्मा और परमात्मा में कौन स्त्री और कौन पुरुष ? किसके अंदर किस रूप में रहती है महामाया ?

आपकी जानकारी के लिए परमात्मा पुल्लिंग शब्द है जबकि उसका ही एक अंश आत्मा स्त्रीलिंग शब्द है क्योंकि परमात्मा के अंदर से निकलने वाली अनगिनत आत्माओं के संचालन का कार्य माता रानी के ही हांथ में है उनकी लगाम माता के पास है।
 
महामाया हरेश् चैषा तया सम्मोहयते जगत।
ज्ञानिनामपि चेतानसि देवी भगवती हि सा।।
बलादा कृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।
तया विसिरज्यते विश्वम जगदेतच्वरचरम।।
 
 एक मात्र भगवती महामाया ही है जो समस्त संसार को विमोहित किए रहती हैं इन्ही के प्रभाव से लोग ममतामय मोह के भंवर के गहरे गर्त में गिराए गए हैं यही भगवती महामाया ही ज्ञानियो के भी चित्त को बल पूर्वक खींचकर मोह में डाल देती हैं वे ही इस संसार की चर अचर जगत की सृष्टि करती हैं।
 
संसार की जितनी शक्तियां है सब इनकी शक्ति है। अतः ब्रह्मा के अंदर की शक्ति ब्रह्माणी भी यही माता शक्ति हैं, रूद्र के अंदर की शक्ति रूद्राणी भी यही माता हैं, महेश के अंदर की शक्ति माहेश्वरी यही माता है और विष्णु के अंदर की शक्ति वैष्णवी भी यही माता है। इंद्र की शक्ति ऐंद्री भी यही माता हैं। उसी प्रकार भगवान विष्णु की पत्नी कमला लक्ष्मी भी यही माता हैं और भगवान शिव की पटरानी माता पार्वती भी यही माता हैं।
 
हमारे आपके साथ सारे संसार की सभी शक्तियां इन्ही की शक्तियां हैं हमारी आपकी पत्नी माता बेटी बहन सभी स्त्रियों के अंदर की शक्ति यही देवी है।
 
निष्कर्ष:ब्रह्मा की ब्राह्मणी, रूद्र की रुद्राणी, विष्णु की कमलारानी कौन है यह सिद्ध हुआ
अतः कवि यह बता रहा है ही माता आप ही तो सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा की शक्ति ब्रह्माणी हो, आप ही सृष्टि के संहार कर्ता सभी रुद्रों की रूद्राणी शक्ति आप ही हो आप ही कमला लक्ष्मी जी हो । आपका ही यश कीर्ति का गुणगान ( आगम निगम अर्थात वेद उपनिषद पुराणों )द्वारा किया जाता है, हे माता आप ही तो भगवान शिव की पटरानी माता पार्वती हो।
 
 निष्कर्ष में आप यह समझ लें कि संसार की ब्रह्मांड की प्रत्येक जीवित या निर्जीव वस्तु में शक्ति स्वरूपा महामाया का वास है ब्रह्मांड की समस्त शक्ति उनकी शक्ति है उनकी इच्छा के बिना एक पत्ता भी नही हिल सकता वह देवी वह भगवती परमब्रह्म परमात्मा की सहचरी हैं दोनो एक ही शरीर महाविष्णु शरीर में निवास करते हैं।
 
इस विषय को अच्छे से समझने के लिए आप लोगो को दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
अस्तु। जय माता दी।

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